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किसानों से नाराज हुआ मानसून! सरकार भी नहीं दे रही साथ

पाकुड़ में एकमात्र एक फसलीय वर्षा आधारित धान की खेती पर निर्भर रहने वाले किसानों को मानसून समय बितने के बाद भी नहीं आने के चलते परेशानी तो झेलनी पड़ ही रही है साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए अब तक धान का बीज जिले को मुहैया नहीं कराने के से भी परेशानी उठानी पड़ती है. इन्हीं दोनों कारणों की वजह से किसान चिंतित हैं. यदि दो चार दिनों के अंदर मानसून ने मेहरबानी की और बारिश हुई तो वे बीज नहीं मिलने के कारण आखिर समय पर धान की खेती कैसे कर पाएंगे.

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Published : Jun 22, 2019, 11:17 AM IST

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पाकुड़: देश की किसानों की आमदनी दोगुनी करने, कम लागत में खेती करने, किसानों के जीवनस्तर में बदलाव लाने और कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार हर कदम उठा रही है. झारखंड के पिछड़े जिले पाकुड़ में मानसून की बेरूखी एवं राज्य सरकार की उदासिनता का दंश किसान झेलने को विवश है.

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किसानों से नाराज मानसून
पाकुड़ में एकमात्र एक फसलीय वर्षा आधारित धान की खेती पर निर्भर रहने वाले किसानों को मानसून समय बितने के बाद भी नहीं आने के चलते परेशानी तो झेलनी पड़ ही रही है साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए अब तक धान का बीज जिले को मुहैया नहीं कराने के से भी परेशानी उठानी पड़ती है. इन्हीं दोनों कारणों की वजह से किसान चिंतित हैं. यदि दो चार दिनों के अंदर मानसून ने मेहरबानी की और बारिश हुई तो वे बीज नहीं मिलने के कारण आखिर समय पर धान की खेती कैसे कर पाएंगे.


किसानों को नहीं मिला है बीज
जिलास्तर से कृषि विभाग द्वारा बिते अप्रैल महीने में ही धान बीज की उपलब्धता को लेकर सरकार को पत्राचार किया गया, लेकिन सरकार की उदासिनता का आलम यह है कि धान बीज की उपलब्धता तो दुर अब तक किसानों को बीज मुहैया कराने के लिए कृषि विभाग निविदा तक नहीं निकाली है. कृषि विभाग से दी गयी जानकारी के मुताबिक एमटीयु 7023 धान 1250 क्वींटल, सहभागी धान 750 क्वींटल एवं हाइब्रीड 450 क्वींटल धान बीज का डिमांड किया गया है.


निविदा एक सप्ताह के अंदर निकाल भी दी जाएगी तो जिलों में धान के बीज पहुंचने में एक पखवारा लग जाएगा और तब तक किसानों को हाथ पर हाथ धरकर रहना पड़ेगा. जिले में 49 हेक्टेयर भूमि धान की खेती के लिए लक्षित है. अब तक मानसून के दस्तक नहीं देने एवं किसानों के खेत सुखे रहने की वजह से धान के बिचरे भी नहीं बोए गए है. राज्य के मुख्यमंत्री ने किसानों के जीवन में बदलाव लाने एवं उपज दोगुनी करने के लिए मुख्यमंत्री किसान सम्मान योजना चालू की है तो देश में केंद्र सरकार कृषि आशिर्वाद योजना लागू की है.


सरकार के कथनी और करनी में अंतर
कई किसानों के बैंक खातों में राशि भी दी गयी है. हालांकि दबी जुबान में कहा जा रहा है कि किसानों के बैंक खातो में जो राशि सरकार ने दी है उसे खाद और बीज की खरीददारी में उपयोग में लाना है और शायद इन्हीं कारणों ने अब तक बीज उपलब्ध नहीं कराए जा सके है. समय पर किसानों को धान बीज सरकार द्वारा अब तक मुहैया नहीं कराये जाने पर राज्य के कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पांच साल के दौरान कभी भी समय पर किसानों को बीज नहीं मिले. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हीतो के प्रति संवेदनहीन है. राज्य के किसानों को रघुवर सरकार के कथनी और करनी के अंतर का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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