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रांचीः नगर सचिव के बयान की मेयर ने की निंदा, कहा- बड़े IAS अधिकारी दुर्भावना से ग्रसित होकर कर रहे बयानबाजी

रांची में मेयर और नगर विकास विभाग के बीच एक बार फिर तनातनी शुरू हो गई है. इस बार होल्डिंग टैक्स कलेक्शन करने वाली एजेंसी स्पैरो सॉफ्टेक के कार्य विस्तार की जगह श्री पब्लिकेशन को टैक्स कलेक्शन का काम दिए जाने पर यह गहमा-गहमी शुरू हुई है.

Dispute between Ranchi Mayor and Municipal Development Department
Dispute between Ranchi Mayor and Municipal Development Department

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Published : Oct 8, 2020, 5:50 PM IST

रांचीः शहर की मेयर और नगर विकास विभाग लगातार एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं. खासकर होल्डिंग टैक्स कलेक्शन करने वाली एजेंसी स्पैरो सॉफ्टेक के कार्य विस्तार की जगह श्री पब्लिकेशन को टैक्स कलेक्शन का काम दिए जाने पर एक बार फिर मेयर और नगर विकास विभाग आमने-सामने आ गए हैं. ऐसे में जनप्रतिनिधियों को लेकर नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे के दिए गए बयान की मेयर आशा लकड़ा ने गुरुवार को कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि इतने बड़े आईएएस अधिकारी होने के बाद भी वह दुर्भावना से ग्रसित होकर बयानबाजी कर रहे हैं. एक आईएएस अफसर और सचिव के पद पर बैठे अधिकारी को इस प्रकार का बयान देना शोभा नहीं देता है. वह खुद को कानून से ऊपर समझ रहे हैं और नगर पालिका अधिनियम के प्रावधान और जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन कर रहे हैं.

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जानकारी के अनुसार विभागीय सचिव ने बयान दिया है कि कोरोना काल में होल्डिंग टैक्स माफ करने के मामले में रांची नगर निगम को छोड़ अन्य किसी निकाय से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए उन्होंने कहा है कि निगम के कुछ प्रतिनिधि खुद को दूसरों से अलग समझते हैं. वह सोचते हैं कि जो वह चाहेंगे वही सरकार करेगी. इसको लेकर मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि जनप्रतिनिधि इससे आहत हैं.

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों ने आम जनता के हित को ध्यान में रखकर निगम परिषद की बैठक में होल्डिंग टैक्स पर छूट देने का प्रस्ताव पारित कर नगर विकास विभाग को भेजा था, लेकिन हेमंत सरकार ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. संवैधानिक प्रावधानों के तहत नगर निगम के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान करना या नहीं करना, उनके अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन विभागीय सचिव किसी दुर्भावना से ग्रसित होकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. वह जनप्रतिनिधियों को जनहित में निर्णय लेने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि निगम परिषद की बैठक में प्रस्ताव को पारित कर विभागीय स्वीकृति की मांग करना नैतिक अधिकार है.

उन्होंने नगर विकास विभाग के सचिव को सलाह देते हुए कहा है कि वह इस भ्रम में न रहे कि उनकी इच्छा है या चाहत की पूर्ति के लिए जनप्रतिनिधि आंख और कान बंद कर उनकी बातों को मान लेंगे. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम राज्य के सभी निकायों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित हो चुका है. ऐसे में अगर होल्डिंग टैक्स माफ करने के प्रस्ताव पर विभागीय स्वीकृति प्रदान की जाती तो कोरोना काल में शहरवासियों को आर्थिक दृष्टिकोण से बड़ी राहत मिलती. साथ ही राज्य के अन्य निकायों को भी रांची नगर निगम की इस पहल से नई सीख मिलती.

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