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केरेडारी में भी अब होगा कोयला खनन, NTPC ने बनाई 2600 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने की योजना

भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनटीपीसी बड़कागांव के बाद केरेडारी प्रखंड में भी कोयला उत्खनन करने की रूपरेखा बना ली है. मॉनसून के बाद नवंबर महीने में केरेडारी में कोयला का उत्खनन शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए 2600 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने की योजना बनाई गई है.

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Published : Jul 2, 2019, 3:45 PM IST

जानकारी देते अधिकारी

हजारीबाग: भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनटीपीसी हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड में कोल माइनिंग कर 12 थर्मल पावर को कोयला दे रही है. अब बड़कागांव के बाद केरेडारी प्रखंड में भी कोयला उत्खनन करने की रूपरेखा बना ली है. मॉनसून के बाद नवंबर महीने में केरेडारी में कोयला का उत्खनन शुरू कर दिया जाएगा.

जानकारी देते अधिकारी


इसके लिए 2600 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने की योजना बनाई गई है. वर्तमान दौर में लगभग 100 एकड़ भूमि पर कोयला उत्खनन किया जाएगा. ये योजना 25 सालों तक चलेगी. केरेडारी कोयला परियोजना के प्रोजेक्ट ऑफिसर एसके सिन्हा ने जानकारी दिया कि भूमि अधिग्रहण में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो रही है. लोग खुद ही भूमि दे रहे हैं और सरकारी नियमानुसार उन्हें मुआवजे की रकम भी दी जा रही है. उनका कहना है कि केरेडारी में भी उच्च कोटि के कोयला मौजूद है. यहां से भी कोयला उत्खनन कर थर्मल पावर को सप्लाई किया जाएगा.


भूमि अधिग्रहण करने और कोयला खनन करने के बाद उस क्षेत्र में वृक्षों की भी कटाई की जाएगी. ऐसे में एनटीपीसी के पदाधिकारियों ने कहा है कि वृक्ष लगाने के लिए जो पैसे होते हैं वह वन विभाग को दिया जाएगा. वन विभाग इसके लिए वृक्षारोपण करेगी. उन्होंने कहा कि चौपारण के क्षेत्र में वृहत पैमाने पर एनटीपीसी के द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम भी किया जा रहा है, जिसे अमलीजामा वन विभाग के अधिकारी पहुंचा रहे हैं. जिस तरह से एनटीपीसी हजारीबाग में अपना कार्यक्षेत्र बढ़ाने की योजना बना रही है यह दिखाता है कि यहां खनिज संपदा भरपूर मात्रा में है और उसका उपयोग सरकार करना चाहती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है स्थानीय लोगों की मदद की भी.

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