पांडवों ने एक रात में बनाया था माता का मंदिर, आज भी मौजूद है 6 हजार वर्ष पुराना पांडवों का बेलन - इतिहास
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जो भी मनोकामना मां से मांगों वो पूर्ण हो जाती हैं. इसलिए यहां दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं और माता के दर पर अपना शीश नवाते हैं. मंदिर में माता के दर्शन करने आई श्रद्धालु सुषमा ने बताया कि मंदिर में मई माह के आखिरी सप्ताह या जून माह के पहले सप्ताह में मेले का आयोजन होता है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग मेले के दौरान माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.