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2 स्कूल बस हादसों के बाद बड़े बड़े एसी हॉल में बैठकें हुई. सरकार ने अगर आदेश जारी किए हैं तो उन्हे क्यों लागू नहीं करवा पा रही. क्यों अधिकारी और सरकारें फरमान जारी करने की फॉर्मेलिटी के बाद सो जाती है. आज भी टैक्सियों में बच्चे ठूंस ठूंस कर भरे जाते हैं. बसों में बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह भरा जाता है. देखिए इन बच्चों को स्कूल का नाम लेते ही आंसुओं की धारा जमीन पर आ गिरती है. इन मासूमों की चीखें सुनकर कलेजा मुंह में आ जाएगा. इनके कोमल से दिल पर इतनी चोट लगी है कि शायद ही ताउम्र उसका घाव भर सके.