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POSITIVE BHARAT PODCAST: बहुभाषाविद् एवं असाधारण घुमक्कड़ थे राहुल सांकृत्यायन

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Published : Apr 9, 2022, 9:48 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:22 PM IST

राहुल सांकृत्यायन का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को यूपी के आजमगढ़ जिले में हुआ. बचपन का नाम केदारनाथ पांडे था. बचपन में ही मां का निधन हुआ तो लालन-पालन नाना-नानी (POSITIVE BHARAT PODCAST) ने किया और प्राथमिक शिक्षा एक मदरसे में हुई.... बचपन में ही शादी कर दी गई, लेकिन उनका घुमक्कड़ी स्वभाव उनको एक स्थान पर टिकने नहीं देता था.... छोटी उम्र में ही घर छोड़कर एक मठ में साधु बन गए, लेकिन यायावरी ने पांव यहां भी नहीं टिकने दिए और 14 साल की उम्र में कलकत्ता जा पहुंचे... लेकिन उनका ये स्वभाव सिर्फ अलग-अलग जगह घूमने की नहीं थी... वो जहां जाते ज्ञान की तलाश में रहते, कुछ नया सीखते, कुछ नया करते. अपनी यात्राओं से वो जिंदगी भर सीखते रहे और इन अनुभवों को समेटते हुए उन्होंने घुमक्कड़ शास्त्र रच डाला... वो ऐसे घुमक्कड़ थे, जो हमेशा सच्चे ज्ञान की तलाश में रहते थे.... उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है... वो जहां भी गए वहां की बोली, भाषा सीखकर वहां के लोगों में रच बस जाते थे... वहां के समाज, संस्कृति, साहित्य का ज्ञान प्राप्त करते और फिर अगले सफर पर निकल पड़ते... उन्हें ज्ञान की भूख थी जिसने उन्हें घुमक्कड़ बनाया.... एक तर्कशास्त्री के साथ समाजशास्त्र, दर्शन, इतिहास, अध्यात्म जैसे विषयों के ज्ञाता राहुल सांकृत्यायन ने 14 अप्रैल, 1963 को दुनिया से अलविदा कह दिया.. राहुल सांस्कृत्यायन खुद तो घुमक्कड़ थे ही वो दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे... वो कहते थे कि कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है. आजकल कुछ लोग खुद को घुमक्कड़ कहलाना पसंद तो करते हैं लेकिन उनका ये स्वभाव सिर्फ सेल्फी, खान-पान और घूमने-फिरने तक ही सीमित होता है.. राहुल सांस्कृत्यायन की कहानी सीख देती है कि हर नई जगह कुछ नया सीखने का मौका देती है... जो आपके ज्ञान में बढ़ाती है. इसलिये अगली बार कहीं घूमने जाएं तो सिर्फ घुम्मकड़ नहीं बल्कि कुछ सीखने की ललक के साथ भी जाएं...
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:22 PM IST

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