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POSITIVE BHARAT PODCAST: ज्योतिराव फुले की जिन्होंने पूरा जीवन महिलाओं और दलितों के उत्थान में किया था अर्पण

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Published : Apr 11, 2022, 5:40 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:22 PM IST

19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रान्तिकारी कार्यकर्ता ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल,1827 को पुणे में हुआ था. उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे बनाने का काम करने लगा था. इसलिए माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे. ज्योतिराव फुले ने पूरी जिंदगी छुआछूत, अशिक्षा, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. 1840 में उन्होंने सावित्री बाई से शादी की, जो आगे चलकर खुद एक महान समाजसेविका के रूप में उभरीं. दोनों ने मिलकर दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए कई प्रयास किए. उन्होंने 1848 में लड़कियों के लिये एक स्कूल खोला ये देश का पहला लड़कियों के लिये बनाया गया विद्यालय था. ज्योतिबा फुले बाल विवाह के खिलाफ थे साथ ही विधवा विवाह के समर्थक भी थे. वे ऐसी महिलाओं से बहुत सहानुभूति रखते थे जो शोषण का शिकार हुई हो या किसी कारणवश परेशान हो इसलिये उन्होंने ऐसी महिलाओं के लिये अपने घर के दरवाजे खुले रखे थे जहां उनकी देखभाल हो सके. ज्योतिबा फुले ने न सिर्फ महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया, बल्कि विधवाओं के लिए आश्रम बनवाए, उनके पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया और बाल विवाह को लेकर लोगों को जागरूक किया. ज्योतिराव गोविंदराव फुले ने पूरा जीवन समाज के वंचित तबके खासकर स्त्री और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया जिसे हमेंशा याद किया जाएगा. ज्योतिराव फुले की ये कहानी हम सभी को सही सिख देती कि समाज में हो रहे अन्याय खिलाफ धर्म, जाति और क्षेत्रवाद से उपर उठ कर अपनी आवाज उठानी चाहिए और समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:22 PM IST

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