किन्नौर में साजो पर्व से हुआ नए साल का आगाज, स्वर्ग लोक से 15 दिन बाद लौटेंगे देवी-देवता
किन्नौर: साजो हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में मनाया जाने वाला (SAZO FESTIVAL CELEBRATED IN KINNAUR) एक प्राचीन त्योहार है. डेढ़ से दो फीट बर्फबारी के बीच देवी देवताओं की पूजा करके बड़े ही उल्लास से यह पर्व मनाया. मान्यता के अनुसार साजो पर्व के बाद किन्नौर में नववर्ष शुरू होता है. जिले में 13 जनवरी से ही साजो मेले की शुरुआत होती है. माघ के पहले दिन किन्नौर के देवी-देवता स्वर्ग की ओर प्रस्थान करते हैं और करीब 15 दिन बाद पृथ्वी लोक का आगमन होता है. इस दिन घर में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर पूजा-पाठ किया जाता है. यहां के नियमानुसार जब तक देवी देवता धरती लोक वापस नहीं आ जाते तब तक गांव में हर प्रकार के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध रहता है. मान्यता अनुसार (history of sazo festival) सतयुग में देवी चंडिका का कल्पा में राजपाठ चलता था और इस सेरिग जगह पर राक्षस रहते थे. दोनों के मध्य अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए लड़ाई होती रहती थी और दोनों में कोई पराजित नहीं होता था. अंत में देवी की मदद के लिए तेक (शिव का स्वरूप) सेरिग में प्रकट हुए जो आज भी धरांक (पत्थर की शिला) सेरिग खेत में मौजूद हैं. दोनों ने मिलकर राक्षसों का सामना किया और आज भी इसी परंपरा को निभाते हुए देवी तेक यानी बड़े गुप्त देवता से मिलने सेरिग में आते हैं.