ऊना: जिला प्रशासन द्वारा कारोबारियों के कोविड-19 टेस्टिंग के लिए जारी किए गए फरमान पर कारोबारियों ने आपत्ति जताई है. एक तरफ जहां जिला प्रशासन ने एक अप्रैल से कारोबारियों के कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल करवाने को लेकर आदेश जारी कर दिए है. वहीं, दूसरी ओर कारोबारियों ने इसे उन्हें बिना विश्वास में लिए जारी किया गया तुगलकी फरमान करार दे दिया है.
व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन के इस फरमान से कारोबार जगत बुरी तरह प्रभावित होगा. व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष सोमेश शर्मा ने कहा कि यदि किसी कारोबारी में कोविड-19 के लक्षण पाए जाते हैं या कोई कारोबारी किसी संक्रमित की क्लोज कॉन्टेक्ट में पाया जाता है, तो उसकी जांच करवाना बिल्कुल उचित है, लेकिन बिना किसी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर बिना किसी लक्ष्ण के हर कारोबारी का सैंपल करवाना न्याय उचित नहीं है. वहीं, एसडीएम ऊना डॉ. निधि पटेल ने कहा की व्यापारी किसी भी अफवाह पर ध्यान दें. व्यापारी स्वेच्छा से ही अपने सैंपल करवाएं इसमें किसी से कोई जबरदस्ती नहीं की जा रही है.
दरअसल जिला में बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण के लगातार मामलों के बाद जिला प्रशासन ने ऊना शहर के कारोबारियों की सैंपलिंग करवाने का फैसला लेते हुए कुछ ही घंटों के भीतर सैंपलिंग का पूरा शेड्यूल भी जारी कर डाला है. वहीं, दूसरी और हिमाचल व्यापार मंडल ने प्रशासन के इस निर्णय को तुगलकी फरमान करार देते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर कर दी है.
व्यापार मंडल ने प्रशासन पर लगाए ये आरोप
हिमाचल व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष सोमेश कुमार शर्मा ने कहा कि यदि किसी कारोबारी में कोविड-19 के लक्षण पाए जाते हैं या कोई कारोबारी किसी संक्रमित की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में शामिल पाया जाता है, तो उसकी सैंपलिंग करवाना न्याय उचित रहेगा, लेकिन हर कारोबारी पर सैंपलिंग का आदेश थोपना प्रशासन का तुगलकी फरमान है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
आदेश जारी करने से पहले दुकानदारों को विशवास में लिया जाए