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71वां राज्य स्तरीय वन महोत्सव: ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने ऊना में किया पौधरोपण

मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के लखरूंह में पौधा लगाकर जिला स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया. इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण ही काफी नहीं, बल्कि पौधों की देखभाल भी आवश्यक है, ताकि वह जीवित रह सकें.

Minister Virendra Kanwar did plantations in Una
Virendra Kanwar did plantations in Una

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Published : Jul 21, 2020, 9:29 PM IST

ऊना: ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के लखरूंह में पौधा लगाकर जिला स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया. इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण ही काफी नहीं, बल्कि पौधों की देखभाल भी आवश्यक है, ताकि वह जीवित रह सकें.

मंत्री ने कहा कि वन मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं, क्योंकि पौधे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और बिना ऑक्सीजन के इंसान का वजूद संभव नहीं. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि वन संपदा को सुरक्षित रखने तथा प्रदेश में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अनेकों योजनाएं शुरू की हैं.

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक प्रदेश के वन क्षेत्र को 30 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज के हर वर्ग को पौधारोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. वानिकी गतिविधियों में महिला मंडलों और युवक मंडलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने सामुदायिक वन संवर्धन योजना आरंभ की. इस योजना के अंतर्गत गांव के आस-पास की भूमि पर पौधारोपण कर देखभाल की जाती है.

लैंटाना घास से मुक्त कराया

मंत्री ने कहा कि सामुदायिक वन संवर्धन योजना के अंतर्गत कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में पिछले वर्ष 7 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया गया. कुटलैहड़ की 60 हेक्टेयर भूमि को लैंटाना घास से मुक्त कराया गया. इस बार मानसून के मौसम में यहां पर पौधारोपण किया जाएगा.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि वनों से रोजी-रोटी के द्वार भी खुलते हैं. जिसके लिए प्रदेश सरकार वन समृद्धि-जन समृद्धि योजना योजना शुरू की है. इस योजना के माध्यम से लोगों को वनों से जड़ी-बूटियां एकत्र कर स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण और विपणन करने को प्रोत्साहित किया जाता है. जंगली जड़ी-बूटियों से रोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं. निजी भूमि में भी विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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