ऊना: सरकार किसानों को बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए तरह-तरह के उपाय खोज रही है. वहीं, जिला ऊना की हरोली विधानसभा क्षेत्र के ईसपुर में बना नसबंदी केंद्र धूल फांक रहा है. 2015 में एक करोड़ रुपये की अधिक लागत से बना ये भवन किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. किसानों को बंदरों की समस्या से निजात तो नहीं मिली पर यह भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है.
हरोली में बंदर नसबंदी केंद्र भवन बना 'सफेद हाथी', करोड़ों खर्च करने के बावजूद समस्या बरकरार - Monkey problem in himachal
हिमाचल प्रदेश में लगातार बंदरों की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है, जिससे किसान खेतीबाड़ी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. बंदरों के चलते किसानों की सैकड़ों कनाल भूमि बंजर बन चुकी है, लेकिन बंदरों की समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है.
बंदर आए दिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. यही नहीं बंदर इतने खूंखार हो चुके हैं कि वे राहगीरों पर झपटकर सामान छीन लेते हैं. हालांकि जिला ऊना के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बंदरों के हमले से कई लोग घायल हो चुके हैं. वहीं, स्थानीय लोगों ने सरकार से बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए फिर से वानर नसबंदी केंद्र को सुचारु रूप से चलाने की गुहार लगाई है.
वहीं, वाइल्ड लाइफ विभाग के ब्लॉक अधिकारी जगदेव सिंह की मानें तो कर्मचारियों की कमी के कारण ईसपुर वानर नसबन्दी केंद्र को बंद किया गया है, जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है. सरकार ने प्रस्तावित पदों की स्वीकृति मिलते ही वानर नसबंदी केंद्र को शुरू करने का दावा किया है.