ऊना: जिला के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल खड्ड में प्राचीन महाभारतदर्प्पण ग्रंथ मिला है. सालों से बंद स्कूल के स्टोर के रखे एक ट्रंक को जब खोला गया, तो इसमें यह ग्रंथ पाया गया. हालांकि इसके काफी पन्ने चूहों की कुतरन के शिकार भी हुए हैं. फिर भी ग्रंथ का 75 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बचा हुआ है. इस ग्रंथ को देखकर स्कूल का स्टाफ हैरान रह गया. इसे सहेज कर रखा गया है और इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को दी गई है.
स्कूल प्रिंसिपल हरीश साहनी ने बताया कि अब अवलोकन के बाद ही यह पता चल पाएगा कि आखिर यह ग्रंथ कब लिखा गया है और इसकी मूल भाषा कौन सी है. खड्ड स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि यह काफी पुराना है और इसमें अंकित की गई भाषा न तो हिंदी है और न ही यह संस्कृत में लिखा गया है.
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल खड्ड में प्राचीन महाभारतदर्प्पण ग्रंथ मिला. भाषा का पता लगाया जाना बाकी
अब इस बात का पता लगाया जाएगा कि आखिर यह भाषा कौन सी है और किस क्षेत्र की है. ग्रंथ के कवर पेज पर महाभारतदर्प्पण प्रथम भाग लिखा गया है. इसमें आदि सभा वन पर्व का उल्लेख किया गया है. इस ग्रंथ में महाराजाधिराज उदित नारायण काशीराज द्वारा स्वरचित का उल्लेख भी किया गया है. इसके आगे का पूरा विवरण किस भाषा में है, इसकी जानकारी तभी मिलेगी, जब इसका पूरा अवलोकन किया जाएगा.
ग्रंथ का 75 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा ठीक. गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल खड्ड का इतिहास
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल खड्ड का इतिहास काफी पुराना है. वर्ष 1928 में जिला ऊना के हरोली क्षेत्र के तहत गांव खड्ड में स्कूल की स्थापना की गई थी. उस समय यह स्कूल डीएवी स्कूल खड्ड के रूप में स्थापित हुआ था. वर्ष 1928 में इसकी नींव तत्कालीन डीएवी कालेज कमेटी होशियारपुर के अध्यक्ष, डीएवी कालेज कमेटी लाहौर के सदस्य गुरदास राम दत्ता ने रखी थी.
वर्ष 1947 में डीएवी स्कूल खड्ड को अपग्रेड करके हाई स्कूल बनाया गया था जबकि आजादी के बाद वर्ष 1958 में इसे हायर सेकेंडरी स्कूल का दर्जा दिया गया था. इस स्कूल से विधायक मोहन लाल दत्ता, करतार चंद दत्ता, दया राम, नारायण दास और भल्ला राम दत्ता जैसी जानी-मानी शख्सियतें थीं. स्कूल का गौरवमयी इतिहास रहा है और इस पूरे क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में यह स्कूल एक मील का पत्थर रहा है. ऐसा माना जाता है कि स्कूल में मिला यह ग्रंथ तभी का है, जब इसकी स्थापना हुई होगी. हालांकि विस्तृत अध्ययन और अवलोकन के बाद ही इसकी सही जानकारी मिल सकती है.
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