धर्मशाला: पाकिस्तान के लाहौर से धर्मशाला लाए गए डेढ़ सौ वर्ष पुराने गुरु ग्रंथ साहिब को गद्दी परिवार ने आज भी सहेज कर रखा है. धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी परिवार के पूर्वज इस गुरु ग्रंथ साहिब को पैदल लाहौर से धर्मशाला लेकर आए थे, तब से गद्दी परिवार के सदस्य इस ग्रुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा कर रहे हैं.
बता दें कि गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को धर्मशाला गुरुद्वारा लाया गया था, जहां सिक्ख संगत सहित शहरवासियों ने पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए. वर्षों पहले धर्मशाला के दाड़नू स्थित गद्दी समुदाय के पूर्वज इस पुरातन गुरु ग्रंथ साहिब को पाकिस्तान के लाहौर से लेकर आए थे.150 साल बीतने के बाद भीब पीढ़ी दर पीढ़ी गद्दी परिवार की ओर से इस गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा की जा रही है.
गुरु ग्रंथ साहिब के लिए गद्दी परिवार ने गुरुद्वारा भी बनाया है. गद्दी समुदाय के अविनाश कुमार ने बताया कि यह गुरु ग्रंथ साहिब लगभग 150 वर्ष पुराना है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को उनके पूर्वज लाहौर से लेकर आए थे. इस गुरु ग्रंथ साहिब की प्रिटिंग लाहौर में हुई थी. इसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब के अंगों की बाइडिंग अमृतसर में हुई थी. अविनाश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने घर में गुरुद्वारा बनाकर गुरु ग्रंथ साहिब को रखा है और जैसे गुरुद्वारा में कार्यक्रम चलता है, उसी तरह वे भी गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हैं.
वहीं, धर्मशाला के नवनिर्वाचित विधायक विशाल नैहरिया ने कहा कि उन्हें भी जानकारी मिली है कि 150 साल पुराने गुरु ग्रंथ साहिब क गुरुद्वारा में गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव के मौके पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को काफी समय से स्थानीय लोगों ने सहेज कर रखा है.