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CSIR का स्थापना सप्ताह: सीएम बोले- हींग की खेती पर किए गए प्रयास प्रशंसनीय

सीएम जयराम ठाकुर ने हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-IHBT) के 38वें स्थापना सप्ताह समारोह में एमएस टीम के माध्यम से ऑनलाइन प्रणाली प्रोटीन प्रसंस्कण केंद्र का उद्घाटन किया. इस दौरान टिशुकल्चर प्रयोगशाला एवं अत्याधुनिक बांस पौधशाला का शिलान्यास भी किया गया.

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Published : Jul 3, 2020, 8:52 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 7:58 AM IST

CM jairam joins CSIR's 38th Foundation Week
CM jairam joins CSIR's 38th Foundation Week

पालमपुर: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR) के 38वें स्थापना सप्ताह समारोह में एमएस टीम के माध्यम से ऑनलाइन प्रणाली प्रोटीन प्रसंस्कण केंद्र का उद्घाटन किया. इस दौरान टिशुकल्चर प्रयोगशाला एवं अत्याधुनिक बांस पौधशाला का शिलान्यास भी किया गया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही 'हींग फोल्डर', आईएचबीटी की बांस संपदा और चाय जर्मप्लाजम पुस्तिका का विमोचन भी मुख्यमंत्री ने किया.

वीडियो.

इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से लड़ रही है. सीएसआईआर-आईएचबीटी के किए जा रहे योगदान के लिए के लिए आभार व्यक्त करते हैं.

सीएम ने कहा कि संस्थान न केवल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करके प्रतिदिन 500 से ज्यादा कोविड टेस्ट कर रहा है, बल्कि टांडा, चंबा और हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को कोविड-19 परीक्षण के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्रियों और प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग भी किया जा रहा.

संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों के अनुसार अल्कोहल आधारित हैंड सेनिटाइजर, हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की. स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके लोगों तक उपलब्ध कराया.

मुख्यमंत्री ने कहा देश में पहली बार हींग की फसल को उगाने की शुरुआत की. यह फसल एक गेम चेंजर साबित होगी. हींग के अतिरिक्त केसर की खेती से प्रदेश के दूरदराज के इन क्षेत्रों में विकास के नए द्वार खुल रहे हैं. प्रदेश सरकार ने इन फसलों के लिए वित्तीय प्रावधान किया.

हर्बल एवं प्राकृतिक खेती में भी संस्थान महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि वैश्विक महामारी के कारण जो लोग प्रदेश में वापिस आ गए हैं उनके रोजगार एवं आजीविका के लिए संस्थान विकसित प्रौद्योगिकियां सहायक सिद्ध होंगी.

उन्होनें संस्थान से जुड़े किसानों और उद्यमियों को बहुत उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी भारत के प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' तथा 'वोकल फॉर लोकल' आह्वान की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा.

इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों को बताया. उन्होंने बताया कि एससीइमेगो में संस्थागत रैंकिंग में संस्थान ने सीएसआइ्रआर के 38 संस्थानों में9 वां स्थान प्राप्त किया है.

संस्थान ने किसानों को सुगंधित फसलें उगाने एवं प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों 50 आसवन इकाइयाँ स्थापित की. 50 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 1397 किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण एक महत्वपूर्ण रहा.

उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने हींग और केसर की खेती की कृषि तकनीक विकसित करके आत्मनिर्भता की ओर कदम बढ़ाए हैं. यह आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने की दिशा में संस्थान का एक प्रयास होगा.

इस अवसर स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर अशोक कुमार सरियाल, सीएफटीआरआई मैसूर के पूर्व निदेशक डॉक्टर. वी प्रकाश, दिल्ली से प्रो. एसएस हांडा, चिन्मय ट्रस्ट से डॉक्टर. क्षमा मैत्रे, राज्य सरकार के अधिकारी तथा संस्थान के स्टाफ के अतिरिक्त उद्यमी, बागवान आदि शामिल रहे.

Last Updated : Jul 4, 2020, 7:58 AM IST

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