सोलनः प्रदेश सरकार के क्षय रोग मुक्त हिमाचल अभियान के अंतर्गत शनिवार को जिला आयुर्वेदिक अस्पताल सोलन में फार्मासिस्टों के लिए क्षय रोग प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला की अध्यक्षता जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने की.
कार्यशाला में सोलन जिला के अर्की, कंडाघाट तथा सोलन उपमंडलों के 50 आयुर्वेदिक औषधि योजकों को क्षय रोग के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि क्षय रोग अर्थात टीबी का इलाज संभव है. सक्रिय क्षय रोग संक्रमण के लक्षणों में दो सप्ताह तक चलने वाली खांसी, शरीर में गांठे पड़ना, बलगम (म्युकस) या रक्त के साथ खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और सीने में दर्द शामिल हैं.
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी ने कहा कि कुछ लोग क्षय रोग के जीवाणु से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देते इसे सुप्त क्षय रोग कहते हैं. सुप्त क्षय रोग के कारण भविष्य में सक्रिय रोग होने की संभावना होती है. क्षय रोग से ग्रसित रोगियों को दवा का पूरा कोर्स करने के लिए प्रेरित कर, समय पर परीक्षण कर दवा शुरू करके क्षय रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.
सोलन में फार्मासिस्टों के लिए क्षय रोग प्रशिक्षण कार्यशाला सक्रिय क्षय रोग से ग्रसित लोगों का इलाज एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाओं से किया जाता है. जो क्षय रोग के जीवाणु को नष्ट कर देती हैं. इसके लिए यह आवश्यक है कि रोगी नियमित समय पर निर्धारित अवधि के लिए दवा का सेवन करे. औषधी योजक क्षय रोगियों की काउंसिलिंग करने के साथ-साथ रोगियों का रिकॉर्ड रखना भी सुनिश्चित करें ताकि शत-प्रतिशत क्षय रोगी मुक्त समाज का निर्माण किया जा सके.
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मुक्ता रस्तोगी ने इस अवसर पर कहा कि जिले में क्षय रोग से पीड़ित लगभग 1500 रोगी हैं. इनमें से 500 रोगी नालागढ़ क्षेत्र में हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर को जिलाभर में आयोजित ग्राम सभाओं में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने क्षय रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया गया. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 तक हिमाचल को क्षय रोग मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.