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नालागढ़ में खोला गया स्वच्छता कैफे, सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले मिलेगा खाना

प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने नालागढ़ में एक सकारात्मक पहल शुरू की है. यहां स्वच्छता कैफे खोला गया है, जिसमें लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले खाना देने का प्रावधान है.

Swachhta cafe
स्वच्छता कैफे

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Published : Sep 24, 2020, 8:16 PM IST

सोलन:प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने नालागढ़ में एक सकारात्मक पहल शुरू की है. यहां स्वच्छता कैफे खोला गया है, जिसमें लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले खाना देने का प्रावधान है.

स्वच्छता कैफे का संचालन लक्ष्मी एवं दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं. इस कैफे का मुख्य आकर्षण परंपरागत भोजन जैसे मक्की की रोटी और सरसों का साग है, जो लोगों को यहां पर खाने के लिए मिलेगा.

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नालागढ़ बीडीओ विश्व मोहन देव चौहान ने कहा कि पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने बाय बैक पॉलिसी शुरु की है, जिसके अंतर्गत यहां लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले खाना या अन्य खाद्य पदार्थ देने का प्रावधान है.

स्वच्छता कैफे के भवन में ही ‘हिम ईरा’ दुकान भी खोली गई है. इसमें विभिन्न समूहों द्वारा तैयार उत्पाद व औषधीय पौधों गिलोय, पुदीना, नीम की पत्तियों का पाउडर, खजूर के पौधों से झाड़ू, टोकरियां एवं घर की गेहूं से बना सीरा, दालें, मसाले, सब्जियां आदि उचित मूल्यों पर बेची जाएंगी. इसके माध्यम से क्षेत्र की गरीब महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे.

विश्व मोहन देव चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में स्वच्छता पर विशेष बल दिया है. साथ ही रोजगार के अवसर प्रदान करने को भी प्राथमिकता दी जा रही है. जिला शिमला के कुफरी में भी स्वच्छता पार्क खोला जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए स्वच्छता कैफे खोलने के प्रस्तावों पर ग्रामीण विकास विभाग विचार कर रहा है.

नालागढ़ बीडीओ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस योजना की परिकल्पना राज्य को पॉलिथीन मुक्त और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से की है. स्वच्छता को प्रोत्साहन मिलने से युवाओं को रोजगार के अवसर और महिला सशक्तिकरण में मदद मिलेगी.

वहीं, निदेशक ग्रामीण विकास ललित जैन ने कहा कि यह कैफे एक अनूठी प्रयोगात्मक पहल है. इसे महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा है. स्थानीय प्रधान इंदु ने कहा कि गत वर्ष स्वयं सहायता समूहों ने मेलों, त्योहारों और सार्वजनिक मंचों में लगभग 40 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी की थी.

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