सोलन:हिमाचल के दूरदराज इलाकों तक पहुंचकर लोगों की जान बचाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा आज तक लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, लेकिन आज हिमाचल प्रदेश में स्थिति ऐसी आ गई है कि 108 एम्बुलेंस सेवा के पहिये ठहरने वाले हैं.
108 कंपनी ने फंड की कमी का हवाला देकर सभी कर्मचारियों को टर्मिनेशन लेटर थमा दिए हैं. अब जहां कर्मचारियों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है, वहीं प्रदेश में लोगों को एम्बुलेंस सेवाओं से भी वंचित रहना पड़ सकता है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि कंपनी टेंडर खत्म होने से पहले ही प्रदेश में सेवाएं देना बंद कर रही है.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों खासकर ग्रामीण इलाकों की लाइफलाइन बन चुकी एम्बुलेंस सेवा से अब तक 68,64,602 लोग फायदा उठा चुके हैं. साल 2010 में राज्य में शुरू की गई इस सेवा से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है. इस सेवा के माध्यम से अभी तक 13,80,848 आपातकालीन मामलों को पंजीकृत किया गया है.
हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य के विभिन्न भागों में हर चौथे मिनट में 108 एम्बुलेंस की आवश्यकता पड़ती है, हर एक घंटे आपात में फंसी एक जिन्दगी का बचाव इस एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से होता है. विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह सेवा वरदान साबित हुई है. यह सेवा शहरी क्षेत्रों में औसतन 12 मिनट, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 35 मिनट के भीतर पहुंचकर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाती है.
हिमाचल प्रदेश में 26 दिसंबर 2010 को 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी, तब से लेकर आज तक प्रदेश में करीब 68,64,602 लोगों तक एंबुलेंस सेवा पहुंची है. इसके तहत हिमाचल प्रदेश में आज तक एम्बुलें करीब 55,673 किलोमीटर क्षेत्र में दौड़ चुकी है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आज तक कुल 13,80,848 आपातकालीन मामलों को एंबुलेंस सेवा के द्वारा निपटाया गया है. जिनमें से पुलिस इमरजेंसी केस 32,005 फायर इमरजेंसी केस 7931 और मेडिकल इमरजेंसी केस 13,40,912 हैं.
- जननी सुरक्षा योजना के तहत नवंबर 2014 में 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा की गई थी शुरू