सोलन:राज्यस्तरीय शूलिनी मेला आज समाप्त हो चुका है मेले के अंतिम दिन मां शूलिनी अपनी बहन के पास 2 दिन तक रुकने के बाद फिर अपने घर वापस लौट आई है. 3 दिन तक चले राज्यस्तरीय शूलिनी मेले को कोरोना के चलते इस साल भी सूक्ष्म रूप से मनाया गया.
बता दें कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले पारंपरिक एवं प्रसिद्ध मेलों में माता शूलिनी का मेला भी प्रमुख स्थान रखता है. बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपने प्राचीन परंपरा को संजोए हुए है. सोलन में मनाया जाने वाला राज्यस्तरीय शूलिनी मेला (State Level Shoolini Fair) भले ही दूसरे साल भी कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया हो, लेकिन सालों से चलती आ रही देव परंपराएं और पौराणिक विधि-विधान से सोलन में मां शूलिनी का अपनी बहन दुर्गा से मिलन हो ही गया.
प्राचीन परंपराएं संजोए है सोलन का 200 साल पुराना शूलिनी मेला
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले पारंपरिक एवं प्रसिद्ध मेलों में माता शूलिनी का मेला भी प्रमुख स्थान रखता है. बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपने प्राचीन परंपरा को संजोए हुए हैं. मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है. माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुलश्रेष्ठा देवी मानी जाती है. वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है.