सोलन: रेडियो के सहारे किसी का बचपन बिता तो किसी का बुढ़ापा. इस देश ने जिस माध्यम से आजादी की घोषणा सुनी वह भी रेडियो ही था, जब देश में इमरजेंसी लगी तो वह ऐलान भी भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी ने किया था. जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया.
आज वर्ल्ड रेडियो डे है. मौजूदा वक्त में चाहे स्मार्टफोन का ट्रेंड हो, लेकिन रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है. ईटीवी भारत आज आपकों रेडियों से जुड़ी खास बाते बताएगा.
आज भी लोगों के पास पुराने समय के रेडियो देखने को मिलते हैं, लेकिन आधुनिक समय में कहीं ना कहीं रेडियो का महत्व लोगों के बीच खत्म होता जा रहा है. जिस तरह से लोग पहले के समय में सुबह उठकर दिनभर की समाचार सुनने के लिए रेडियो के पास बैठा करते थे. आज सभी के पास एंड्रॉयड फोन होने के कारण उस समय को भूलते जा रहे हैं.
यह शख्स 1957 से चला रहा है सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान
सोलन में 1957 से सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान चला रहे सुनील राजू ने बताया कि जिस समय रेडियो का दौर था तो लोग दिनभर रेडियो के पास बैठकर खबरें और गानों को सुना करते थे. वह समय कुछ और था, लेकिन आधुनिक समय में लोगों में इसका क्रेज खत्म होता जा रहा है. फिर भी लोग आज तक रेडियो के ऊपर गाने और खबरें सुनने के लिए खुश दिखाई देते हैं.