सोलन: देवभूमि हिमाचल जहां कण-कण में देव शक्तियां और घर-घर में जांबाज वीर देखे जाते है. ऐसे ही हिमाचल प्रदेश की पहचान को अगर रेखांकित करना हो तो सबसे पहले जहन में यही तस्वीर आती है. आज हम आपको बताने जा रहे एक ऐसे योद्धा के बारे में जो कि सोलन के रहने वाले है, जिन्होंने 29 अक्तूबर 1994 को आपरेशन रक्षक के दौरान जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते समय उनके छक्के छुड़ा दिए थे.
कप्तान संजय चौहान हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले से संबंध रखते हैं. संजय चौहान का जन्म 26 नवंबर 1968 को सोलन में ही हुआ था. उन्हें 16 दिसंबर1991 में राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में तैनात किया गया था. जो अपने निडर सैनिकों और असंख्य युद्ध सम्मानों के लिए जानी जाती है. 29 अक्टूबर 1994 को शहीद होने के बाद साल 2006 में शहीद कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा को सोलन के चंबाघाट में स्थापित किया गया था, लेकिन आज के समय में कैप्टन संजय चौहान और रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पुलिस लाइन सोलन में पिछले करीब डेढ़ वर्ष से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.
इन प्रतिमाओं का स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन को सोलन में जमीन ही नहीं मिल रही है.यही कारण है कि शहीद कैप्टन संजय चौहान के परिजनों ने अब सरकार से मांग की है कि अगर शहीद पार्क के निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल रही है तो कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा उन्हें दी जाए ताकि वह उसे अपनी जमीन में स्थापित कर सके.
कैप्टन संजय चौहान के साथ महारानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा भी चंबाघाट में स्थापित की गई थी. 15 अप्रैल, 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर आयोजित होने वाले जिला स्तरीय कार्यक्रम के मौके पर मुख्यातिथि इस पार्क में ही शहीदों को नमन करते थे. चम्बाघाट से शिमला के लिए फोरलेन का निर्माण शुरू होने के बाद इस पार्क को तोड़ दिया गया और प्रतिमाओं को पुलिस लाइन सोलन में शिफ्ट किया गया.
गौर रहे कि इन प्रतिमाओं का वहां पर किसी कमरे में नहीं रखा गया है बल्कि खुले में छोड़ दिया गया. पार्क के ऊपर से फ्लाईओवर बनना है. पुलिस लाइन में रखी इन प्रतिमाओं की हालत दयनीय होती जा रही है. हालांकि इन प्रतिमाएं तिरपाल से ढकी हुई है, लेकिन महारानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा कई जगह से टूट भी गई है. प्रशासन का कहना है पर्यटन विभाग के बाईपास स्थित कार्यालय के नजदीक शहीद पार्क के निर्माण के लिए जमीन देखी गई है जल्द ही इसे फाइनल किया जाएगा.
- रोते रोते बोले संजय के भाई, मुझे मेरे भाई की याद दे दो वापिस: