हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

रहस्य: मुगलों की सेना भी जीत नहीं पाई यह मंदिर, 7 द्वार खोलने पर होते हैं भगवान विष्णु के दर्शन! - lord vishnu temple in solan

मंदिर में मौजूद भगवान श्री विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति प्रथम शताब्दी की है. लोक मान्यताओं के अनुसार इस मूर्ति की स्थापना लगभग 600 साल पहले की गई थी. मान्यता है कि मुगलों के डर से इस मूर्ति को पहले समुद्र में छिपा दिया गया था. जानिए पूरी खबर.

special story on Jaunaji vishnu temple solan
मुगलों की सेना भी जीत नहीं पाई यह मंदिर, 7 द्वार खोलने पर होते हैं भगवान विष्णु के दर्शन!

By

Published : Dec 30, 2019, 9:01 AM IST

Updated : Oct 7, 2022, 7:21 PM IST

सोलन: हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा भले ही 1975 में मिला हो लेकिन इसका इतिहास महाभारत काल से भी पुराना है. इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां कण-कण में देवताओं का वास है. कोने कोने से मंदिरों की घंटियां की मधुर आवाज और शंख ध्वनि कानों में गूंजती हैं. यहां मौजूद मंदिर अपने भीतर सदियों पुराने रहस्य को अपने गर्भ में छुपाए हुए हैं. आज भी इन मंदिरों के कई छिपे हुए रहस्य है. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता चला आ रहा है.

हिमाचल के जिला सोलन में एक ऐसा मंदिर है, जो न केवल महाभारत का साक्षी रहा है, बल्कि मुगल काल से भी संबंध रखता है. इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना के बाद मुगलिया सल्तनत के सिपाही बघाट रिसायत की सीमाओं को छू भी नहीं पाए. सोलन शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर है भगवान श्री चतुर्भुज विष्णु जी का. इस रहस्यमयी मंदिर को विष्णु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में मौजूद शिवलिंग और शंख लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं.

पौराणिक गाथाओं की मानें तो बघाट रियासत के राजाओं ने मुगलों के डर से जौणाजी को अपनी राजधानी बनाया था. मंदिर में मौजूद भगवान श्री विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति प्रथम शताब्दी की है. लोक मान्यताओं के अनुसार इस मूर्ति की स्थापना लगभग 600 साल पहले की गई थी. कहा जाता है कि मुगलों के डर से इस मूर्ति को पहले समुद्र में छिपा दिया गया था. जिसके बाद बघाट रियासत के राजा जामवंत को सपने में भगवान की मूर्ति को जौणाजी में स्थापित करने का आदेश हुआ.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: इंसान नहीं चींटियों ने बनाया था इस मंदिर का नक्शा! यहीं टूटा था लक्ष्मण सेन का घमंड

हिंदू मान्यता के अनुसार सात द्वार खुलने पर परमब्रह्म के दर्शन होते हैं,उसी तरह इस मंदिर में भी सात द्वार खुलने पर ही भगवान श्री चतुर्भुज विष्णु जी के दर्शन होते हैं. लोक कथाओं के अनुसार भगवान श्री विष्णु की मूर्ति स्थापना के बाद मुगल इस क्षेत्र पर कब्जा नहीं कर पाए. आज तक यह एक रहस्य ही है कि आखिर इस मूर्ति में कौन सी अदृश्य शक्ति है जिसने लाखों की मुगल सेना को यहां आने से रोक दिया.

मंदिर में एक बड़ा शंख भी मौजूद है. शंख कितना पुराना है. इसका कोई प्रमाण नहीं है. यह कोई सामान्य शंख नहीं बल्कि पाञ्चजन्य शंख है, माना जाता है कि इस शंख को महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने बजाया था. इस शंख से एक साथ पांच ध्वनियां निकलती हैं. यह शंख अति दुर्लभ और प्राचीन है. माना ये भी जाता है कि ये वही प्राचीन शंख है, जिसका वर्णन श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय में भी मिलता है.

मंदिर में मौजूद शिवलिंग का इतिहास भी पुरातन है, यह कोई साधारण शिवलिंग नहीं है बल्कि हिमाचल का एकमात्र पंचमुखी शिवलिंग है. यह शिवलिंग किसी मूर्तिकार ने नहीं बनाया बल्कि. धरती से खुद प्रकट हुआ है. यह शिवलिंग स्वयंभू हैं. मान्यता है कि यह शिवलिंग लगभग 1200 साल पुराना है.

हिमाचल के यह मंदिर अद्भूत है, जिनकी सच्चाई का बखान खुद प्रकृति करती है. हिमाचल को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. यहां सच में भगवान का वास है. जिसकी पुष्टि खुद हिमाचल की वादियां करती हैं.

Last Updated : Oct 7, 2022, 7:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details