सोलन: हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा भले ही 1975 में मिला हो लेकिन इसका इतिहास महाभारत काल से भी पुराना है. इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां कण-कण में देवताओं का वास है. कोने कोने से मंदिरों की घंटियां की मधुर आवाज और शंख ध्वनि कानों में गूंजती हैं. यहां मौजूद मंदिर अपने भीतर सदियों पुराने रहस्य को अपने गर्भ में छुपाए हुए हैं. आज भी इन मंदिरों के कई छिपे हुए रहस्य है. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता चला आ रहा है.
हिमाचल के जिला सोलन में एक ऐसा मंदिर है, जो न केवल महाभारत का साक्षी रहा है, बल्कि मुगल काल से भी संबंध रखता है. इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना के बाद मुगलिया सल्तनत के सिपाही बघाट रिसायत की सीमाओं को छू भी नहीं पाए. सोलन शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर है भगवान श्री चतुर्भुज विष्णु जी का. इस रहस्यमयी मंदिर को विष्णु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में मौजूद शिवलिंग और शंख लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं.
पौराणिक गाथाओं की मानें तो बघाट रियासत के राजाओं ने मुगलों के डर से जौणाजी को अपनी राजधानी बनाया था. मंदिर में मौजूद भगवान श्री विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति प्रथम शताब्दी की है. लोक मान्यताओं के अनुसार इस मूर्ति की स्थापना लगभग 600 साल पहले की गई थी. कहा जाता है कि मुगलों के डर से इस मूर्ति को पहले समुद्र में छिपा दिया गया था. जिसके बाद बघाट रियासत के राजा जामवंत को सपने में भगवान की मूर्ति को जौणाजी में स्थापित करने का आदेश हुआ.