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Solan Nauni University: फ्रांस में होने वाली बैठक का प्रतिनिधित्व करेगा नौणी विश्वविद्यालय, प्राकृतिक खेती पर होगी चर्चा - meeting on natural farming in france

फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट एग्रीकल्चर एंड एनवायरमेंट में प्राकृतिक खेती को लेकर एक बैठक होने जा रही है. जिसमें भारत की ओर से हिमाचल प्रदेश का नौणी विश्वविद्यालय प्रतिनिधित्व करने वाला है. इस दौरान बैठक में नौणी विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल में अपनाई जा रही प्राकृतिक खेती के बारे में विचार रखेगी. वहीं, बाहरी देशों में उपयोग में लाई जाने वाली कृषि तकनीकों पर शोध भी करेगी. पढ़ें पूरी खबर... (Meeting on Natural Farming at INRAE )

Solan Nauni University in natural farming project
फ्रांस में होने वाली बैठक का प्रतिनिधित्व करेगा हिमाचल का नौणी विश्वविद्यालय

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 23, 2023, 7:31 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 10:18 PM IST

फ्रांस में होने वाली बैठक का प्रतिनिधित्व करेगा नौणी विश्वविद्यालय

सोलन/नौणी:हिमाचल प्रदेश में भी लगातार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है और एक अभियान के तहत इस कार्यक्रम को चलाया जा रहा है. अब यही तकनीक देश के बाद दुनिया तक पहुंचे इसके लिए कार्य किया जा रहा है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पांच साल पहले शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अभी तक 1 लाख 71 हजार से अधिक किसान-बागवान जुड़ चुके हैं. दरअसल, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट INRAE (फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट एग्रीकल्चर एंड एनवायरमेंट) में प्राकृतिक खेती, एग्रोकोलॉजी ,रिजनरेटिव एग्रीकल्चर को लेकर एक बैठक होने जा रही है. जिसमें प्राकृतिक खेती को लेकर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी.

दरअसल, इस बैठक में भारत देश के साथ फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्पेन,अर्जेंटीना, चाइना, कंबोडिया, रोमेनिया और पुर्तगाल जैसे देशों भाग लेंगे. वहीं, भारत से हिमाचल प्रदेश का नौणी विश्वविद्यालय हिस्सा लेने वाला है, जो प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल में किए जा रहे कार्यों को लेकर अपने विचार रखेगी और बाहरी देशों में उपयोग में लाई जाने वाली कृषि तकनीकों पर शोध करेगी.

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति प्रो.राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि प्राकृतिक खेती को एक अभियान के रूप में राज्य सरकार ने शुरू किया था. अब यही अभियान देश दुनिया तक पहुंच रहा है. भारत सरकार ने नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फार्मिंग का कांसेप्ट शुरू किया था. जिसमें सुप्रीम बॉडी में एडवाइजरी मेंबर के रूप में वे भी शामिल हुए थे. दरअसल, पिछले डेढ़ साल से ग्लोबल लेवल पर प्राकृतिक खेती को ले जाने के लिए 11 देशों ने यूरोपियन कमीशन को प्रोजेक्ट दिया, जिसमें इस खेती को नेचुरल फार्मिंग, रिजनरेटिव एग्रीकल्चर, एग्रोकोलॉजी के नाम से जाना जाता है और इसको लेकर जो प्रोजेक्ट दिया गया, उसका नाम प्लांट प्रोटेक्शन इन एग्रोकोलॉजी (प्राकतिक खेती में कीट पतंगों से पौधों की सुरक्षा) दिया गया.

प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि खेती में रसायनों और कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में इन सभी बातों को लेकर एक बैठक का दौर फ्रांस में होने जा रहा है. जिसमे 11 देश और 15 संस्थान हिस्सा लेने वाले हैं. यह बैठक कल 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चलने वाली है, जिसमे कई बैठकों का दौर चलेगा. इस कड़ी में जनवरी माह से इस प्रोजेक्ट को इम्प्लीमेंट किया जाएगा,जिसके तहत नौणी विश्वविद्यालय में प्रयोग में लाई जाने वाली तकनीक और किसानों के खेतों तक दुनिया भर के वैज्ञानिक पहुंचेगे. वहीं, नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी इसको लेकर बाहरी देशों में इस खेती को लेकर विजिट करेंगे.

प्रो. चंदेल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को दुनिया भर में कैसे लागू करना है इसको लेकर नौणी विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली इस बैठक में अपने विचार रखेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें लगातार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए कार्य कर रही है. वहीं, अब इस तकनीक को दुनिया भर में ले जाने का प्रयास किया जा रहा है, अब यह प्राकृतिक खेती अभियान संस्थानों के माध्यम से दुनिया भर में पहुंचने वाला है जिसको लेकर नौणी विश्विद्यालय एक अहम भूमिका निभाएगा.

दरअसल, प्राकृतिक खेती बाहरी स्रोतों से खरीदने के बजाय होमस्टेड और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र से तैयार जैव-इनपुट डेटा के उपयोग पर जोर देती है. इसे व्यय किए गए प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक कृषि, गौ परिसर प्राकृतिक खेती, शाश्वत खेती, सिंथेटिक मुक्त कृषि और अन्य नामों से भी जाना जाता है. वहीं, नौणी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इसके प्रति ट्रेनिंग दिया जा रहा है और इसके लिए फील्ड विजिट भी करवाये जा रहे हैं.


बता दें कि, हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की शुरुआत 2018 में राज्य सरकार द्वारा की गयी थी. हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती कर रहे किसान-बागवान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर से इसकी ट्रेनिंग हिमाचल में ले चुके हैं. उसके बाद से अब तक प्रदेश में एक लाख 71 हजार किसान इस खेती को कर रहे है.

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Last Updated : Sep 23, 2023, 10:18 PM IST

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