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2 बहनों का मिलन पर्व है शूलिनी मेला, पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ निकेलगी शोभायात्रा

राज्य स्तरीय शूलिनी मेला आज शुक्रवार को पौराणिक परंपराओं के साथ शुरू होगा. शुक्रवार दोपहर 1.50 बजे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल माता की डोली का स्वागत करेंगे और शोभा यात्रा में भाग लेंगे.

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Published : Jun 21, 2019, 10:49 AM IST

डिजाइन फोटो

सोलन: अधिष्ठात्री मां शूलिनी की श्रद्धा का प्रतीक राज्य स्तरीय शूलिनी मेला आज शुक्रवार को पौराणिक परंपराओं के साथ शुरू होगा. शूलिनी मेला मां शूलिनी की पूजा अर्चना के साथ दोपहर 1.45 बजे शुरू होगा. इसी समय मां की पालकी भी मंदिर से पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शोभायात्रा के रूप में निकेलगी.

शूलिनी मेले को दौरान पालकी ले जाते लोग (फाइल फोटो)

जानकारी के अनुसार, मंदिर में दोपहर 1.50 बजे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल माता की डोली का स्वागत करेंगे और शोभा यात्रा में भाग लेंगे. दोपहर बाद 2.15 बजे बघाट बैंक चौक में माता शूलिनी माता की डोली पर पुष्पवर्षा होगी.

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2 बहनों के मिलन का प्रतीक है शूलिनी मेला
बता दें कि शूलिनी मां सोलन वासियों की अधिष्ठात्री देवी हैं. मान्यता है कि आज के दिन शूलिनी देवी अपने मंदिर से निकल कर गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा में शहर के मुख्य बाजारों से होते हुए अपनी बड़ी बहन जो गंज बाजार स्थित पुराने मंदिर में रहती हैं के पास जाती हैं और उनके वहां दो तीन दिन तक रुकती हैं.

मंदिर में की गई सजावट

शूलिनी मंदिर से गंज बाजार होते हुए हजारों श्रद्धालुओं के बीच मां की भव्य शोभा यात्रा निकलेगी. पहला पड़ाव पुराने बस अड्डे पर लगाया जाएगा. इसके लिए व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं. इसके बाद पालकी मालरोड से निकलेगी और उपायुक्त चौक से वापसी कर गंज बाजार स्थित पुराने मंदिर में रुकेगी.

शूलिनी मेले में लगी भीड़ (फाइल फोटो)

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इस दौरान शहरवासी ढोल-नगाड़ों की थाप पर मां शूलिनी का स्वागत करते हैं और जगह-जगह भंडारे करते हैं. मां शूलिनी तीन दिनों तक अपनी बहन के साथ रहती हैं. रविवार को वे गाजे-बाजे के साथ फिर अपने मंदिर को वापस आ जाएंगी. मेले की अंतिम संध्या यानि 26 जून को मां की पालकी को पूजा अर्चना के साथ ही उनके मंदिर तक ले जाया जाएगा.

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