सोलन में जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस सोलन: ऐतिहासिक ठोडो मैदान सोलन में जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और सोलन के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने की. सबसे पहले मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने शहीद स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की वहीं, उसके बाद वे सभा स्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने ध्वजारोहण कर परेड का निरीक्षण किया और सलामी ली.
इस दौरान पुलिस होमगार्ड एनएसएस एनसीसी और स्कूली बच्चों ने परेड में हिस्सा लिया. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने माता शूलिनी को नमन करते हुए देश और प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि पूरे देश के लिए आज गर्व और हर्ष का दिन है. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 के दिन संविधान को देश में अपनाया गया था और भारत गणतंत्र बना था. भारत का संविधान इसी दिन अस्तित्व में आया और भारत संप्रभु बना.
सोलन में जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस में स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल सलामी लेते हुए. उन्होंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार समाज में संविधान से ही प्राप्त किए जाते हैं. गणराज्य के रूप में हिमाचल प्रदेश में भी विकास यात्रा और आने वाला भविष्य विकास करने के लिए हो इस तरह से कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने वाले योद्धाओं को याद करना भी इस दिन जरूरी है. उन्होंने कहा कि हिमाचल देवभूमि होने के साथ-साथ वीरभूमि भी है और हिमाचल सरकार सैनिक और पूर्व सैनिकों को अनेकों सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है.
उन्होंने कहा कि देश को गौरवशाली देश बनाने में जिन भी देश भक्तों ने अपना जीवन न्योछावर किया है उन्हें भी याद करने का आज दिन है देशभक्तों के बलिदान को आज पूरे देश में याद किया जा रहा है. शांडिल ने कहा कि कहा भी जाता है कि कण कण में सोया है शहीद और पत्थर पत्थर में इतिहास है यह सब देशभक्तों की शहादत का साक्षी है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार विकास की गंगा बहाने के लिए वचनबद्ध है. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने कहा कि पूर्व सरकार ने वर्तमान सरकार के लिए क्षेत्र हजार करोड़ का कर्ज सामने रखा है बावजूद इसके कांग्रेस सरकार अपने सारे सभी वादों को पूरा करने के लिए दृढ़ता पूर्वक कार्य कर रही है उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों का अहम रोल रहता है ऐसे में कर्मचारियों की ओपीएस की मांग को राज्य सरकार ने पूरा किया है और इससे कर्मचारियों को लाभ मिलने वाला है.
शांडिल ने कहा कि पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के अन्तिम 9 महीनों में बजट का प्रावधान किए बिना 900 संस्थान खोले और स्तरोन्नत किए, इससे प्रदेश पर 5,000 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ा. एनपीएस के लगभग 8,000 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार के पास हैं. उन्होंने कहा कि ओपीएस को बहाल करना राजनीतिक निर्णय नहीं है अपितु यह निर्णय सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के आत्मसम्मान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है, क्योंकि कर्मचारियों की राज्य के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने वाले प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को भी वे आज के दिन वह याद करते हैं.
ये भी पढ़ें-ऊना में धूमधाम से मनाया गया 74वां गणतंत्र दिवस, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने फहराया राष्ट्रीय ध्वज