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2007 के बाद से सोलन जिले में लगातार गिरा BJP की जीत का ग्राफ, क्या इस बार होगा कमाल ?

सोलन जिले की करें तो साल 2007 से लेकर साल 2017 तक हुए विधानसभा चुनाव में लगातार भाजपा की जीत का ग्राफ गिरा (solan assembly constituency) है. 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिले की पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, 2012 और 2017 के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन पहले के बेहद निराशाजनक रहा. ऐसे में इस बार भाजपा के सामने एक बड़ी चुनौती है. पढ़ें पूरी खबर...

हिमाचल विधानसभा चुनाव
हिमाचल विधानसभा चुनाव

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Published : Nov 21, 2022, 3:13 PM IST

Updated : Nov 21, 2022, 3:40 PM IST

सोलन:हिमाचल विधानसभा चुनाव (Himachal election 2022) अब अपने अंतिम चरण में हैं. मतदान हो चुका है और मतगणना 8 नवंबर को होनी है. इस बार का चुनाव पहले के विधानसभा चुनावों से काफी मायनों में अलग है. क्योंकि इस बार न तो कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं और न ही भाजपा के दिग्गज नेता प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार. इन तीनों ही नेताओं के बिना इस बार का विधानसभा चुनाव हुआ है. बात अगर सोलन जिले की करें तो साल 2007 से लेकर साल 2017 तक हुए विधानसभा चुनाव में लगातार भाजपा की जीत का ग्राफ गिरा (solan assembly constituency) है.

2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिले की पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी. अर्की से गोबिंद सिंह, दून से विनोद कुमारी, नालागढ़ से हरिनारायण सिंह, कसौली से राजीव सैजल और सोलन से राजीव बिंदल ने चुनाव जीता था. इसी तरह साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का जीत का ग्राफ गिरा और भाजपा को सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत मिली. जहां अर्की से भाजपा के गोबिंद शर्मा, दून से कांग्रेस के रामकुमार, नालागढ़ से भाजपा के केएल ठाकुर, सोलन से कांग्रेस के धनीराम शांडिल और कसौली से भाजपा के राजीव सैजल ने जीत दर्ज की थी.

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी सोलन जिले में भाजपा की जीत का ग्राफ गिरा था. उस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 2 ही सीटें मिली थीं. जहां अर्की से कांग्रेस के वीरभद्र सिंह, दून से कांग्रेस के रामकुमार, नालागढ़ से भाजपा के केएल ठाकुर और कसौली से राजीव सैजल ने जीत दर्ज की थी. इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सरकार रिपीट करने की बड़ी चुनौती है. क्योंकि भाजपा पहले से सत्ता में है और प्रदेश नेतृत्व से लेकर केंद्रीय नेतृत्व की शाख दावं पर है. इस चुनाव में OPS से लेकर महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा काफी हावी रहा है. ऐसे में देखने होगा की भाजपा अब क्या कमाल करती है.

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Last Updated : Nov 21, 2022, 3:40 PM IST

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