सोलन:हिमाचलप्रदेश में इन दिनों टमाटर की खेती जोरों पर है. सोलन जिला में लाल सोना कहे जाने वाली टमाटर की फसल पर बरसात आते ही पत्तों में पीलापन या टमाटर में काला धब्बा रोग (बकाई रॉट) लगना शुरू हो जाता है.
इससे किसानों की फसल बर्बाद होने का खतरा ज्यादा रहता है. किसान अपने स्तर पर बीमारी को नियंत्रण में करने के लिए दवाओं की स्प्रे तो करते हैं, लेकिन यह बीमारी फैलती जाती है. खेतों में लगे हरे टमाटरों को भी यह बीमारी अपनी जद में लेना शुरू कर देती है
किसानों का कहना सड़ रहा है टमाटर के पौधे
सोलन जिला में मॉनसून से पहले हो रही बारिश और बढ़ रही गर्मी के बाद टमाटर के पौधे पर लगे नीचे के पत्ते पीले पड़ने के साथ सूखना शुरू हो चुके हैं. डॉ. वाई एस परमार नौणी विश्विद्यालय में वरिष्ठ पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि इन दिनों हिमाचल में टमाटर की खेती जोरों पर है. आने वाले समय मे गर्मी बढ़ रही है. वहीं, साथ ही साथ बरसात भी आ रही है. इस दौरान टमाटर के पौधे में बीमारियों का लगना शुरू हो जाता है.
इस दौरान टमाटर के पौधे में जड़ से जुड़े हिस्से के पत्तों में पीलापन और दाग लगना शुरू हो जाता है. नीचले हिस्से के पत्ते झुलसना शुरू हो जाते हैं. ये पौधे के खराब होने का सकेंत है.
इस तरह से करे टमाटर के पौधे का बचाव
डॉ. मणिका तोमर ने बताया कि जब किसान सिंचाई करता है, तो पानी पौधे की जड़ पर जाने के बाद मिट्टी उछलती है, तो पौधे के निचले हिस्से से जुड़े पत्ते पीले होना शुरू हो जाते हैं. जिस कारण धीरे-धीरे पूरे पौधे में ये रोग फैलना शुरू हो जाता है.
इसके लिए किसान जब भी सिंचाई करे तो ध्यान दें कि अगर किसी पौधे में पीलापन और अगेता झुलसा रोग लगता है, तो पौधे से पीले पड़ चुके पत्तों को निकाल दें. नहीं तो ये रोग पूरे पौधे में फैल सकता है.