सोलन: सोलन नगर निगम में सम्मिलित होने वाली प्रस्तावित 8 ग्राम पंचायतों का विरोध खत्म नहीं हुआ है. इन ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने सोमवार को उपायुक्त सोलन केसी चमन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को आपत्तियों से भरा ज्ञापन सौंपा. जन प्रतिनिधियों ने सड़कों पर उत्तर कर विरोध प्रदर्शन भी किया. ग्रामीणों का कहना है कि सोलन को लाल सोना व मशरूम सिटी से कहा जाता है.
ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में सम्मिलित करने से सोलन का शहरीकरण बढ़ेगा, जिससे लोगों में बेरोजगारी बढ़ेगी. बता दें कि सोलन नगर परिषद को नगर निगम बनाने को लेकर शहर के साथ लगती पंचायतों को सम्मिलित किया जाना है. इसमें समिल्लित होने वाली प्रस्तावित 8 पंचायतें बसाल, पडग, सलोगड़ा, सेरी, कोठो, शामती, सपरून व आंजी शामिल है, लेकिन पंचायतों के प्रतिनिधियों ने इनको नगर निगम में शामिल करने को लेकर आपत्ती जताई है.
ग्रामीण संघर्ष समिती सोलन प्रतिनिधियों का कहना है कि पंचायतों का अस्तित्व खत्म करके उनका विलय सोलन नगर परिषद में किया जा रहा है, जिससे पंचायतों के निवासी काफी परेशान है. हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से गांव की पंचायतों को नगर निगम में शामिल करके विकास करवाया जा रहा है. वे चाहते हैं कि इसी तरह से उनके गांव व इलाके का पंचायत में रहते हुए विकास किया जाए.
प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारी पंचायतों के इलाकों का न तो शहरीकरण हुआ है, न ही किसी सुविधाओं का कोई अभाव है. आबादी का घनत्व भी बहुत कम है. उन्होंने कहा कि पंचायत के लोगों की ओर से पंचायत को नगर परिषद में शामिल किए जाने को लेकर कभी कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया. आम सभा ने कभी भी इसकी इजाजत नहीं दी है.
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नर परिषद सोलन अपने आप में नगर निगम बनने में सक्षम है. यह अपनी आबादी और राजस्व की शर्त को पूरा करती है. इसके लिए गांव व पंचायत का विलय करने की कोई आवश्यकता नहीं है. अगर गांव का सोलन म्यूनिसिपल कमेटी में विलय किया जाएगा तो इसका असर सोलन में की जाने वाली खेती पर दिखाई देगा. इससे जो लोग कृषि से आजीविका कमा रहे हैं वे भी वंचित होंगे. शहरीकरण बढ़ेने से आसपास का वातावरण भी दूषित होगा.
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