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मशरूम सिटी ऑफ इंडिया: हिमाचल उत्पादन में देश में तीसरे पायदान पर काबिज, ट्रेनिंग लेकर लोग कर रहे लाखों की कमाई

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Published : Oct 14, 2019, 11:29 PM IST

मशरूम केंद्र का उद्घाटन 21 जून 1987 को तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री युवा आईसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ गुरुदयाल सिंह ढिल्लों ने किया था. इसे 26 दिसंबर 2008 को मशरूम अनुसंधान निदेशालय में अपग्रेड किया गया था. सोलन के चंबाघाट स्थित मशरूम अनुसंधान निदेशालय में 10 सितंबर को राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन भी किया जाता है.

मशरूम सिटी ऑफ इंडिया: उत्पादन में देश में तीसरे पायदान पर काबिज, ट्रेनिंग लेकर लोग कर रहे लाखों की कमाई

सोलन: मशरूम रिसर्च व सोलन शहर के योगदान इसे लोकप्रिय बनाने की दिशा में डीएमआर के प्रयासों को देखते हुए 10 सितंबर 1997 को भारतीय मशरूम सम्मेलन के दौरान हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसे भारत की मशहूर सिटी घोषित किया गया था. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में छठी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1983 में राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र सोलन में बाद में मशरूम के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के रूप में बदला गया.

सोलन में अपने मुख्यालय के साथ पांच राज्यों के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय में 6 केंद्रों पर मशरूम सुधार परियोजना का समन्वय किया गया. मशरूम केंद्र का उद्घाटन 21 जून 1987 को तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री युवा आईसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ गुरुदयाल सिंह ढिल्लों ने किया था. इसे 26 दिसंबर 2008 को मशरूम अनुसंधान निदेशालय में अपग्रेड किया गया था. सोलन के चंबाघाट स्थित मशरूम अनुसंधान निदेशालय में 10 सितंबर को राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन भी किया जाता है.

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वर्तमान में ऑल इंडिया को ऑडी नेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन मशरूम द्वारा सर्वेक्षण करने नई किस्म के मशरूम एकत्रित करने अनुकूल क्षमता की जांच करने के लिए देश के स्पाइस राज्यों में डीएमआर सोलंकी विकसित तकनीकों को परीक्षण करने व अन्य कार्यों के लिए 23 समन्वय और 9 सहकारी केंद्र है.

ई-लर्निंग पोर्टल से ले सकते हैं मशरूम की जानकारी

देश भर के लोगों को अपनी भाषा में मशरूम उत्पादन की जानकारी देने के लिए मशरूम सिटी ऑफ इंडिया सोलंकी 22वीं वर्षगांठ पर मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन ने ई-लर्निंग पोर्टल की शुरुआत भी की, जिससे देश विदेश की करीब 104 भाषाओं में मशरूम के बारे में किसानों और लोगों को जानकारी मिल सकती है.

पूरे साल किसान मशरूम उगा कर सकते हैं कमाई

मशरूम अनुसंधान केंद्र सोलन के डायरेक्टर डॉ बी पी शर्मा का कहना है कि किसान मशरूम की खेती कर पूरे साल उससे मोटी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मशरूम की प्रजाति करीब 45 दिनों में तैयार हो जाती है ऐसे में इस कारोबार से जुड़कर किसान साल भर कमा सकते हैं.

मशरूम से बनाये जा रहे हैं प्रोडक्ट

मशरूम में प्रोटीन 35 से 40% होने के कारण यह लोगों की जीवन के लिए और उनकी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है. इसके लिए मशरूम उत्पादन करके मशरूम से ब्रेड, जैम, बिस्किट, कैन्डी और आचार बनाये जा रहे हैं.

मशरूम उत्पादन में तीसरे स्थान पर हिमाचल

पूरे देश में मशरूम उगाया जाता है, लेकिन हिमाचल भी इसमें बढ़चढ़ कर आगे आ रहा है. उत्पादन के क्षेत्र में महाराष्ट्र पहले स्थान पर, ओडिशा दूसरे स्थान पर वहीं हिमाचल तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा मशरूम उत्पादन करने में कामयाब है. हिमाचल में सोलन शिमला और सिरमौर मे सबसे ज्यादा मशरूम उत्पादन किया जाता है.

टनों के हिसाब से हो रहा है मशरूम उत्पादन

जब 1961 में मशरूम अनुसन्धान की शुरुआत हुई थी तो कमर्शियल रूप में मशरूम का उत्पादन किया जाता था. 1983 में 5000 टन का मशरूम उत्पादन यहां होता था, लेकिन आज उत्पादन क्षमता बढ़कर 1 लाख 85 हजार टन हो चुका है.

कैंसर की दवाई के लिए फायदेमंद है मशरूम

मशरूम आज के समय मे दवाई के रूप में भी इस्तेमाल की जा रही है. वहीं अब मशरूम का इस्तेमाल कैंसर की बीमारी को दूर करने में भी की जा रही है. शिटाके मशरूम कैंसर की दवा के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. बता दें कि मशरूम दिमाग के लिए काफी फायदेमंद है, इसके इस्तेमाल से स्ट्रेस दूर किया जा सकता है.

खुम्ब अनुसंधान निदेशालय के डारेक्टर डॉ वी पी शर्मा ने कहा कि सोलन भारत का एक मात्र ऐसा केंद्र है जहां रिसर्च की जाती है. साथ ही साथ किसानों और वैज्ञानिकों को भी यहां ट्रेनिंग दी जाती है. पूरी दुनिया में 14,000 प्रजाति मशरूम कि पाई जाती है, जिसमें से 3000 प्रजाति की खोज जारी है और 200 मशरूम की प्रजाति की खोज दुनिया में की जा चुकी है, जिसमें से भारत में 6 मशरूम की प्रजाति इस्तेमाल की जा रही है.

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