सोलन: देश और प्रदेश में इन दिनों कोरोना महामारी अपना कहर बरपा रही है. महामारी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ''वोकल फॉर लोकल'' का सपना हिमाचल के सोलन जिले की रहने वाली मंजू कहीं ना कहीं सच करती दिख रही हैं.
भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार को और भी ज्यादा पवित्र बनाने के लिए जिला सोलन के कंडाघाट उपमंडल की ग्राम पंचायत तूंदल की रहने वाली मंजू इस बार कुशा और मौली के धागों से राखियां बना रही हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंजू ने बताया कि आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने के लिए वे इस बार कुशा और मौली के धागों से राखियां बना रही हैं.
मंजू ने बताया कि अमावस्या के दिन कुशा को निकालकर रख लिया जाता है. उस दिन कुशा निकालकर रखने से उसे शुद्ध माना जाता है. एक राखी को बनाने में 15-20 मिनट का समय लगता है. मंजू ने बताया कि उन्हें इस बार घर पर ही राखियां बनाकर बेहद खुशी महसूस हो रही है.
राखियों को प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी लोग पसंद कर रहे हैं. अब तक मंजू हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में 150 राखियां कूरियर के जरिये भेज चुकी हैं, वहीं उन्हें करीब 500 राखियों की डिमांड नोएडा-दिल्ली से आई है. मंजू ने हर राखी का दाम 30 रुपये रखा है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है. वहीं, उन्होंने अन्य महिलाओं से भी अपील की है कि वे भी अपने हाथों के हुनर को सबके सामने लाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकती हैं.