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Khushwant Singh Litfest : राज बब्बर की सलाह, रिजेक्शन से बचने के लिए चेहरा पकने का इंतजार करें चाइल्ड आर्टिस्ट, बिग बी व अपने बेटे के बारे में कही बड़ी बात - raj babbar wife name

देश के महान लेखकों में शुमार खुशवंत सिंह की याद में 12वां खुशवंत सिंह लिटफेस्ट कसौली में अंतिम दिन कांग्रेस नेता और अभिनेता राज बब्बर ने चाइल्ड आर्टिस्ट के फेल होने का बड़ा कारण बताया. राज बब्बर फिल्मों में कैसे आए इसके बारे में भी उन्होंने खुलकर बात की. पढ़ें पूरी खबर... (Khushwant Singh Litfest).

Khushwant Singh Litfest
Khushwant Singh Litfest

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 15, 2023, 6:01 PM IST

सोलन:हिमाचल प्रदेश केकसौली में चल रहे खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के अंतिम दिन कांग्रेस नेता और अभिनेता राज बब्बर माया नगरी मुंबई में युवा चेहरों जल्दबाजी पर खुलकर चर्चा की. उनकी बेटी जूही बब्बर उनके साथ रहीं और दामाद अनूप सोनी ने उनके साथ संवाद किया. राज बब्बर ने कहा कि जो चाइल्ड आर्टिस्ट समय से पहले फिल्मों में आ जाते हैं, उन्हें बाद में रिजेक्ट कर दिया जाता है.

राज बब्बर ने कहा कि यही हाल अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन और मेरे बेटे आर्य का हुआ. अगर अमिताभ का बेटा पूरी तरह से सीख कर आता तो आज उसे अमिताभ का बेटा नहीं कहते. उन्होंने कहा कि चाइल्ड आर्टिस्ट के फेल होने का बड़ा कारण जल्द फिल्मों में आना है. उन्होंने कहा कि उनके और अमिताभ बच्चे के बेटे को पहली फिल्म में काम देने वाले दोनों एक ही प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे. कहा कि अक्सर जिन्हें बचपन में फिल्मों में रोल मिलता है, बड़े होने पर वह मायानगरी में फेल हो जाते हैं.

'स्कूटर बेचकर आए फिल्मों में':इस दौरान राज बब्बर ने बताया कि उन्होंने 6000 रुपये में अपना स्कूटर बेचा और 100 रुपये लेकर मुंबई में किस्मत आजमाने आए. वह 6000 रुपये उन्होंने अपनी पत्नी को दे दिए और कहा कि हर महीने इससे 500 रुपये निकाल लेना और घर का खर्चा निकाल लेना. लेकिन घर खर्च फिर भी 650 से 700 रुपये था. उसके बाद उन्होंने उनकी किस्मत ने उन्हें एक स्टॉर बना दिया.

लिटफेस्ट में मौजूद लोग.

'दोस्त लाया था राजनीति में':राज बब्बर ने कहा कि उन्होंने अपने एक दोस्त की मदद यूपी चुनाव के दौरान की थी और उन्हें उसके बाद राज्यसभा सांसद बनने का ऑफर उसी दोस्त ने दिया. उन्होंने कहा कि वे तीन बार जीते, दो बार हारे, जब भी हारे तो राज्यसभा सांसद बन गए और 27 साल तक वे सांसद रहे है. शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी बेटी जूही पैदा हुई थी तो उन्हें अस्पताल से लाने के लिए 300 रुपये चाहिए थे, लेकिन इतने पैसे न होने के कारण उन्हें एक रात अस्पताल में पत्नी को रखना पड़ा. अगले दिन 300 रुपये का जुगाड़ किया और फिर अस्पताल से छुट्टी ली.

बेटी को क्यों नहीं लाए फिल्मों में:राज बब्बर से सवाल किया गया कि आप अपनी बेटी को फिल्मों में क्यों नहीं लाए तो उन्होंने जवाब दिया कि युवा चेहरे बहुत जल्द फिल्मों में आ जाते हैं, जिससे उनक कॅरियर बनने से पहले खत्म हो जाता है. लिहाजा उन्होंने बेटी से कहा कि वह अच्छी एक्टिंग सीखकर ही फिल्मों में जाएं.

'बेटी को अस्पताल से लाने के लिए चाहिए थे 300 रुपए':राज बब्बर बताते हैं कि वह एक्टर बनने के लिए वे पॉलिटिक्स में आए थे आज तक वे तीन बार जीते दो बार हारे, जब भी हारे तो राज्यसभा सांसद बन गये, 27 साल तक वे सांसद रहे हैं. राज बब्बर ने अपनी शुरुआती दिनों को भी याद किया और बताया कि जब उनकी बेटी जूही पैदा हुई थी तो उन्हें अस्पताल से लाने के लिए ₹300 चाहिए थे क्योंकि हॉस्पिटल का बिल बढ़ चुका था और एक रात अस्पताल में ही उन्हें अपनी बेटी को रखना पड़ा वे पैसे का इंतजाम करने गए लेकिन अगले दिन ₹300 और जुड़ गए ऐसे में उन्हें ₹600 का इंतजाम करना पड़ा, फिर उन्हें एक वीकली प्रोग्राम मिला जिसमें उन्हें एक हफ्ते का ₹175 पर मिलना था ऐसे में डायरेक्टर से मिले और कहा कि उन्हें ₹600 दे दो,इसके बाद उन्होंने वह पैसे लेकर अस्पताल में जमा करवाए और अपनी बेटी को वह घर लेकर आए.

'8वीं क्लास से था एक्टर बनने का जुनून':राज बब्बर बताते हैं कि बचपन से ही उनके एक्टर बनने की इच्छा थी वह जुनून था,8वीं क्लास में ही उन्होंने सोच लिया था कि वे एक्टर बनेंगे,उन्हें इस बात से मोहब्बत थी,और उन्हें इसी आशिकी ने एक्टर बनाया.उन्होंने कहा कि वह अपने उस्ताद इब्राहिम अलकाजी से बहुत कुछ सीखें हैं जो उन्होंने पढ़ाया लिखाया है जो उन्होंने उन्हें पढ़ने के लिए दिया उसी लिखाई से उन्होंने जीने का सलिका सीखा है.

'बेटी को लॉन्च करने के लिए बनाई थी फिल्म':राज बब्बर ने चर्चा के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि इंसान का तराजू फिल्म के साथ उन्होंने 14 फिल्मों में छोटे-छोटे रोल भी किए,लेकिन पैसे इतने नहीं थे जितनी फिल्में है. लेकिन एक जुनून था एक्टर बनने का और वह जुनून लगातार बड़ा होता गया. राज बब्बर ने कहा कि अगर मोहब्बत जुनून आशिकी और लग्न हो तो किस्मत अपने आप लकीरें लिखती है. बब्बर ने कहा कि शुरुआत छोटी थी लेकिन अंजाम बड़ा होता गया. चर्चा के दौरान राज बब्बर की बेटी जूही बब्बर ने कहा कि वह सौभाग्यशाली है कि राज बब्बर उनके पिता है,क्योंकि उन्होंने उनको खुद लॉन्च किया है और उस मूवी का नाम काश आप हमारे होते था.

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