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मशरूम उत्पादकों को खुम्ब अनुसंधान निदेशालय की सलाह, अचार और बिस्किट बनाकर करें स्टोर

सोलन का खुम्ब अनुसंधान निदेशालय मशरूम उत्पादकों को लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से उबारने का प्रयास कर रहा है. उत्पादकों को अचार,बिस्किट बनाने सहित कई सलाह दी जा रही है.

Advice of Khum Research Directorate Pickles and Biscuits with Mushroom Growers
अचार और बिस्किट बनाने की सलाह

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Published : May 28, 2020, 8:35 PM IST

सोलन:कोरोना के चलते सभी फसलों और बागवानों पर असर पड़ा है. मशरूम उत्पादकों की बात की जाए तो उन्हें भी इस घाटे से गुजरना पड़ा. प्रदेश में करीब 15 हजार टन सालाना मशरूम का उत्पादन किया जाता है. प्रदेश में बटन मशरूम,ढींगरी और शिटाके मशरूम बहुत मात्रा में उगाया जाता है. मशरूम में पानी बहुत मात्रा में होता है, जिसके चलते यह जल्दी ही खराब हो जाता है. लॉकडाउन के चलते मशरूम को ज्यादा दिनों तक प्रिजर्व रखना किसानों के लिए मुश्किल रहता है, इसलिए खुम्ब अनुसंधान निदेशालय ने किसानों के लिए लगातार एडवाइजरी जारी कर रहा है.

एक साल तक रखा जा सकता
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान खुम्ब अनुसंधान निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. बीपी शर्मा ने बताया कि किसान लॉकडाउन में भी मशरूम से आजीविका कमा सकते हैं. भले ही किसानों का मशरूम इन दिनों बाजार में ना बिक रहा हो, लेकिन मशरूम से बने उत्पाद को को किसान घरों में ही बनाकर बाजार में बेच सकते हैं. उन्होंने बताया कि ढींगरी और शिटाके मशरूम में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिसके चलते यह जल्दी खराब होता है. इसके लिए किसानों को मशरूम को सुखाने के लिए कहा जा रहा हैं. सुखाने के बाद मशरूम 6 महीने से 1 साल तक रखा जा सकता है.

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बिस्किट और नूडल्स बनाकर कर सकते भंडारणबटन मशरूम जो प्रदेश में सिजनल और एनवायरमेंट कंट्रोल के द्वारा साल भर की जाती है. उसे सुखाने में थोड़ी दिक्कत आती है. अनुसंधान निदेशालय द्वारा उसे छीलकर चिप्स बनाने के लिए किसानों को गाइडलाइन दी जा रही है, ताकि उसका भंडारण किया जा सके. वहीं, घर में बड़ियां, बिस्किट और नूडल्स बना कर भी इसका भंडारण किया जा सकता है.

कमा सकते अच्छे दाम
किसान फ्रेश मशरूम का उपयोग अचार बनाकर कर सकते हैं. अचार के साथ-साथ कैंडी, जेम्स और सॉस भी बनाया जा सकता है. जहां एक तरफ मशरूम का यूज होगा वही किसान नुकसान से भी बच पाएगा. अपने उत्पादों को बाजारों में अच्छी कीमत पर बेच पाएगा. लॉकडाउन के चलते किसानों को घाटे से उबारा जा सके इसलिए खुम्ब अनुसंधान निदेशालय ने यह कदम उठाया.

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