सोलन: देश व प्रदेश में इन दिनों कोरोना महामारी अपना कहर ढा रही है. महामारी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का सपना वोकल फॉर लोकल का है, जो कहीं ना कहीं इन दिनों सोलन शहर की दुकानों पर सच होता नजर आ रहा है.
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार 3 अगस्त को आने वाला है. इसके लिए शहर व गांव के बाजार की दुकानों पर नई नई वैरायटी की आकर्षक राखियां सज कर तैयार हो चुकी हैं. इस बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को स्वदेशी राखियों से ही मजबूती प्रदान की जाएगी. बाजारों में सजी दुकानों पर चीन की राखियां इस बार नजर नहीं आ रही हैं.
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद से ही स्थानीय बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसका असर अब रक्षाबंधन की खरीदारी में भी दिख रहा है. लोगों को चीनी राखियां बाजार में नहीं मिल रही हैं. वहीं, लोगों की स्वदेशी राखियों की मांग को पूरा करने के लिए बाजार में रेशमी और मौली के धागों की खूबसूरत राखियां लाई गई हैं.
बच्चों की कलाई पर सजाने के लिए इस बार बाजार में डोरेमॉन, मोटू पतलू, सिंघचेन, स्पाइडर मैन ,बाइक लाइट, छोटा भीम, आदि कार्टून कैरेक्टर की राखियां उपलब्ध हैं. चीन से आने वाली राखियां नहीं बल्कि भारत में बनी राखियां इन दिनों बाजारों में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसके अलावा बच्चों के लिए मोतियों वाली राखी और तस्वीर जड़ित राखियां भी बाजार में लाई गई हैं, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं.
हाथों से बनाई जा रही मोलियों और रेशम की धागे की राखियां
इस बार हाथों से बनी राखियां भी बाजार में उतारी जा रही हैं. कुछ दुकानदार अपनी दुकानों में ही मोतियों से बनी रेशम और मौली के धागों से राखियां बना रहे हैं, जिसके दाम भी कम रखे गए हैं और लोगों को वह पसंद भी ज्यादा आ रही है.
आत्मनिर्भर बनने की ओर पहला कदम
दुकानदारों का कहना है कि इस बार पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वदेशी राखियों की भरमार बाजारों में उतारी गई है. उन्होंने कहा कि इस बार चाइना के किसी भी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.वहीं, अब से त्यौहार में चाइना के सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.