सोलन:ऑटो रिक्शा चालकों पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है. ऑटो रिक्शा किसी भी शहर के लोगों की यात्रा का सामान्य साधन है. यह सुविधाजनक भी हैं और ज्यादातर उन रास्तों को कवर करते हैं जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं पहुंच पाता. सोलन शहर में भी लोग इधर-उधर जाने के लिए ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करते हैं. कोरोना की दूसरी लहर के चलते ऑटो चालकों पर दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है.
ऑटो चालकों के सामने आर्थिक संकट
ऑटो रिक्शा चालकों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो चुका है. धीरे-धीरे प्रदेश में ऑटो रिक्शा चालकों की आर्थिक स्थिति पटरी पर लौटी रही थी लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा फिर से कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए कर्फ़्यू लगा दिया गया. ऐसे में ऑटो चालकों का घर चलाना भी मुश्किल हो चुका है. पिछले वर्ष भी ऑटो चालक लॉकडाउन में करीब 84 दिनों के बाद सड़कों पर उतरे थे. उससे नुकसान उभरना शुरू हुआ था लेकिन फिर पाबंदियां लग गई. ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति बिल्कुल कमजोर हो चुकी है.
कोरोना कर्फ्यू ने फिर बढ़ाई मुश्किलें
शूलिनी ऑटो यूनियन के महासचिव वेद प्रकाश का कहना है कि पिछले साल जून में जब ऑटो चलने शुरू हुए थे तो धीरे-धीरे पटरी पर कामकाज लौटना शुरू हो चुका था. इस साल जैसे ही सरकार ने मई महीने में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाने की बात कही, तब से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो चुका है. बैंक की किस्तें, बच्चों की फीस और परिवार चलाने में ऑटो चालकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि कुछ लोग गांव से आकर यहां पर ऑटो चला कर अपने घर का गुजर-बसर करते हैं लेकिन कोरोना के लिए लगाए गए कर्फ्यू के कारण सब कुछ बंद पड़ा है. ऐसे में ऑटो चालक आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं.