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देवभूमि में अनुसूचित जाति के लोग खुशहाल: वीरेंद्र कश्यप - meeting of Scheduled Castes Commission in Solan

हिमाचल प्रदेश में भाईचारा अभी भी कायम और अन्य राज्यों के मुकाबले अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर है. सोलन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अनुसूचित जाति आयोग हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप (Virendra Kashyap PC in Solan)ने कहा कि देवभूमि के लोग भाईचारे के साथ एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं.

District level meeting of Scheduled Castes Commission in Solan
देवभूमि में अनुसूचित जाति के लोग खुशहाल

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Published : Feb 18, 2022, 5:54 PM IST

Updated : Feb 18, 2022, 6:06 PM IST

शिमला:हिमाचल प्रदेश में भाईचारा अभी भी कायम और अन्य राज्यों के मुकाबले अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर है. सोलन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अनुसूचित जाति आयोग हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप (Virendra Kashyap PC in Solan)ने कहा कि देवभूमि के लोग भाईचारे के साथ एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं.

वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग का गठन 2017 में हुआ था. वहीं, 2021 में इसका पुनर्गठन किया गया. कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के उत्थान के लिए आर्थिक समाजिक रूप से कार्य किया जाए इसके लिए आयोग अपनी राय देता है. वहीं ,केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं में क्या कमी उसका भी जायजा लिया जाता है. इसी कड़ी में आज जिलास्तर पर बैठक सोलन में (Scheduled Castes Commission meeting in Solan) ली गई. उन्होंने कहा कि आयोग के गठन के बाद पहली बैठक आयोजित हुई.

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उन्होंने कहा कि भले ही सरकार योजना बनाती, लेकिन उसे जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचाने का कार्य अधिकारी करते, ऐसे में अधिकारियों से 7 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है जो राशि अनुसूचित जाति के लोगों के उत्थान के लिए दी जाती उसका डाटा पेश करें ,ताकि यह पता लग सके कि किस विभाग द्वारा लापरवाही बरती जा रही और किस विभाग द्वारा बेहतर कार्य किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में जिला सोलन में एट्रोसिटी एक्ट के जरिए 2015 से 2020 तक विभिन्न थाने के तहत मामल भी दर्ज किए गए, जिसमें 2016 में 10 केस, 2017 में 11 केस , 2018 में 11केस ,2019 में 7 केस व ,2020 में 8 केस दर्ज किए गए. वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि 6 वर्षों में एट्रोसिटी एक्ट में जिले में कुल 64 मामले हुए पंजीकृत हुए,जिनमें 2 मामले में आरोपी घोषित कर सजा दी गई. वहीं ,अन्य मामले कोर्ट में विचाराधीन है.

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति व जनजाति लोगों तक पहुंचना और सरकार द्वारा चलाए जा रहे उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना है ,ताकि इस वर्ग का उत्थान हो सके ,उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं में किस तरह की कमियां इसे भी आयोग समय-समय पर उजागर करता रहेगा.

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Last Updated : Feb 18, 2022, 6:06 PM IST

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