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राजनीतिक आधार पर तैयार किया है सोलन का पंचायत चुनाव रोस्टर: केवल सिंह पठानिया

कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव व सोलन के प्रभारी केवल सिंह पठानिया ने कहा कि सोलन जिले में पंचायती चुनाव का रोस्टर राजनीति आधार पर जारी किया है. उन्होंने कहा कि वे अपने उच्च अधिकारियों को इसके बारे में मुख्य चुनाव अधिकारी को शिकायत पत्र लिखने के लिए सिफारिश करेंगे.

Congress Committee state general secretary Kewal Singh Pathania on Solan panchayat election roster
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Published : Dec 13, 2020, 8:06 PM IST

सोलन: कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव व सोलन के प्रभारी केवल सिंह पठानिया ने कहा कि सोलन जिले में पंचायती चुनाव का रोस्टर राजनीति आधार पर जारी किया है. उपायुक्त कार्यालय में तीन बार इस रोस्टर को उपायुक्त कार्यालय में मंगाया गया और यह पूरी तरह से राजनीति आधार पर जारी किया है. वे अपने उच्च अधिकारियों को इसके बारे में मुख्य चुनाव अधिकारी को शिकायत पत्र लिखने के लिए सिफारिश करेंगे.

केवल सिंह पठानिया ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार तीन साल में हर मोर्चे पर विफल हुई है. कोरोना माहामारी के दौरान लोगों को राहत दिलाने के बजाए उल्टा उन्हें तंग करने पर लगी है. सरकार को चाहिए था कि अधिसूचना जारी करने के बाद लोगों को सेनिटाइजर व मास्क उपलब्ध कराती. पहले ही महामारी से दुखी लोगों पर अधिसूचना जारी करके बिना मास्क के एक हजार रुपये चालान करना शुरू कर दिया है. सभी लोग इतने अमीर नहीं है.

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श्वेत पत्र जारी करे सरकार

उन्होंने कहा कि दिल्ली के पांच बार्डरों पर किसान तीन काले कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. लाल किले पर किसानों के आय को दो गुणा करने वाले प्रधानमंत्री अब किसानों की बात भी सुनने को तैयार नहीं है. आंदोलन के दौरान ठंड से एक दर्जन किसान मर चुके हैं. बेरोजगारी की हितैषी बनने वाली सरकार श्वेत पत्र जारी करे कि कोरोना के समय में कितने लोगों का रोजगार छिना है. आज हर गांव में 30 फीसदी लोग बेरोजगार बैठे हैं.

स्थानीय लोगों का रोजगार छीनने की तैयारी

प्रदेश महासचिव केवल सिंह पठनिया ने दून ब्लॉक कमेटी के साथ बैठक के दौरान प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों के चलते स्थानीय लोगों का रोजगार छीना जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री लोकल फॉर वोकल की बात करते हैं, लेकिन यहां बीबीएन में दस हजार ट्रक संचालकों के रोजगार पर तलवार लटका दी है. उनका रोजगार छिनने जा रहा है और उद्योगपति भी स्थानीय लोगों को कॉरपोरेट नहीं कर रहे हैं. सरकार इस बारे में चुपी साधे हैं. यह दस हजार ट्रक संचालक दो लाख लोगों की रोजी रोटी चलाते हैं.

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