हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

Maa Shoolini Temple: सोलन शहर की अधिष्ठात्री देवी हैं शूलिनी मां, बघाट रियासत से जुड़ा है मंदिर का इतिहास - chaitra navratri 2023

सोलन की अधिष्ठात्री देवी माता शूलिनी मंदिर में इन दिनों नवरात्रि की धूम है. रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर का इतिहास क्या है? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (Mata Shoolini Temple in Solan)

Mata Shoolini Temple in Solan district
सोलन की अधिष्ठात्री देवी है माता शूलिनी

By

Published : Mar 24, 2023, 2:12 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. हर जिले में अलग अलग देवी देवताओं का वास है. यहां के लोगों में देवी देवताओं के प्रति बेहद सच्ची आस्था है. इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. सोलन की अधिष्ठात्री देवी माता शूलिनी मंदिर में भी नवरात्रि की धूम है. शूलिनी माता का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है. माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. सोलन शहर की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता के नाम से ही इसका नाम सोलन पड़ा, जो देश की स्वतंत्रता से पूर्व बघाट रियासत की राजधानी के रूप में जाना जाता था और यहां का नाम बघाट भी इसलिए पड़ा कि रियासत में 12 स्थानों का नामकरण घाट के साथ था.

माता शूलिनी के प्रसन्न होने से हर मनोकामना होती है पूरी

बघाट रियासत के शासकों की कुलदेवी है माता शूलिनी: इतिहास पर नजर डालें तो बघाट रियासत के शासक जब यहां आए तो उन्होंने अपनी कुलदेवी की स्थापना सोलन गांव में की और इसे अपने रियासत की राजधानी बनाया. बघाट रियासत के शासक अपनी कुलदेवी शूलिनी माता को खुश करने के लिए और उस समय अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मेलों का आयोजन करते थे. तब से लेकर आज तक यह परंपरा चल रही है. सोलन की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता के नाम से ही हर वर्ष जून माह के तीसरे सप्ताह में शूलिनी मेले का आयोजन किया जाता है.

बघाट रियासत के शासकों ने की सोलन में मन्दिर की स्थापना

खुश होने पर माता करती है हर मनोकामना पूरी:दंत कथाएं बताती हैं कि माता शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या महामारी का प्रकोप नहीं होता है. बल्कि सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है. मेले की यह परंपरा आज भी कायम है. कहा जाता है कि माता शूलिनी त्रिशूल धारी है, इसीलिए सोलन शहर को किसी भी तरह की आपदा का सामना नहीं करना पड़ता है. जो कोई भी यहां मनोकामना करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है. माना जाता है कि मां शूलिनी की शरण में आज तक कोई भी आया वो खाली हाथ कभी नहीं लौटा.

जून माह के तीसरे सप्ताह में होता है शूलिनी मेले का आयोजन

सात बहनों में से एक है माता शूलिनी:जनता की राय के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक थी. अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं. मां शूलिनी के नाम से ही सोलन का राज्यस्तरीय मेला मनाया जाता है. बघाट रियासत के शासक अपनी कुल देवी को खुश करने के लिए इस मेले का आयोजन करते थ. इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं मौजूद हैं. नवरात्रि पर्व के दौरान सुबह से माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की लाइन लग जाती है. बाहरी राज्यों से भी लोग माता के दर्शन करने के लिए शूलिनी मंदिर में पहुंचते हैं.

बघाट रियासत के शासकों की कुलदेवी है माता शूलिनी

200 साल से शूलिनी माता की पूजा कर रहा पुजारी का परिवार:मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा की मानें तो उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी करीब 200 सालों से माता शूलिनी देवी की पूजा अर्चना करता आ रहा है. उन्होंने बताया कि माता शूलिनी दुर्गा माता का ही अवतार है. माता का नाम शूलिनी इसलिए पड़ा, क्योंकि माता त्रिशूल धारी है. उन्होंने बताया कि माता शूलिनी सोलन में बघाट रियासतों के राजाओं के समय से बसी है. जब बघाट रियासत के राजा सोलन में बसे थे तो वो मां शूलिनी को अपने साथ ही सोलन लेकर आये थे. माता शूलिनी बघाट रियासत के राजाओं की कुलदेवी थी और उनके हर कामों को पूर्ण करने वाली थी. तब से लेकर आज तक मां शूलिनी की सोलन शहर पर आपार कृपा है.

सात बहनों में से एक है माता शूलिनी

नेता भी चुनाव लड़ने से पहले लेते हैं माता का आशीर्वाद: मान्यता ये भी है कि जो कोई भी नया कारोबार शुरू करता है, या नव दम्पति, या फिर कोई नेता चुनावों में खड़ा होता तो वो सबसे पहले माता का आशीर्वाद लेने आते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूरी हो जाए. जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तब नारियल चढ़ाकर भक्त माता का आशीर्वाद लेने और उनका आभार जताने आते हैं.

ये भी पढ़ें:Navratri 2023 : त्रिदेवों की शक्ति का प्रतीक है मां का ये रूप, इनकी पूजा से धन प्राप्ति और होता है शत्रुओं का नाश

ABOUT THE AUTHOR

...view details