सोलन: छोटे बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए होम बेस्ड यंग चाइल्ड केयर कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है. इसको लेकर क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में आशा वर्करों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इस दौरान बच्चों के छह माह तक स्तनपान पर बल, पूरक आहार, आवश्यक खनिज तत्वों वाले भोजन की उपलब्धता, परिवार नियोजन व संपूर्ण टीकाकरण पर विस्तार से जानकारी दी गई. इसके लिए जिले की आशा वर्करों के लिए पांच बैच बनाए गए हैं.
शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सोलन स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर, आशा वर्करों को दी जा रही ट्रेनिंग
निमोनिया और डायरिया से बढ़ने वाली शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग सोलन ने कमर कस ली है. जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग आशा वर्करों को ट्रेनिंग दे रहा है. पढ़ें पूरी खबर...
ट्रेनिंग कार्यक्रम के दौरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अमित रंजन ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल के लिए एचबीवाईसी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. जिसमें बच्चों की गृह आधारित देखभाल में आशाओं की अहम भूमिका रहती है. क्योंकि आशा वर्कर घर-घर जाकर पोषण संबंधी जानकारी, स्तनपान का महत्व, ऊपरी भोजन और भोजन में आवश्यक खनिज तत्वों की उपलब्धता पर तकनीकी जानकारी देती हैं.
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डॉ. अमित रंजन ने बताया कि 82% मृत्यु दर निमोनिया होने के कारण 0 से 2 वर्ष के बच्चों में पाई जा रहे हैं. वहीं, डायरिया होने से 72% मृत्यु दर 0 से 2 साल के बच्चों में पाई गई है. इस मृत्यु दर को कम करने के लिए और डायरिया और निमोनिया के मामलों से बच्चों को बचाने के लिए ग्रामीण स्तर के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिसमें जिले के 5 बैच बनाकर आशा वर्करों को ट्रेनिंग दी जा रही है.