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मंत्री जी! काम करने को मना नहीं है, लेकिन हमारी सुरक्षा और मानदेय पर सरकार कब ध्यान देगी?

सोलन में आशा वर्करों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल से मुलाकात की. कोरोना काल में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर अब निराश हो चुकी हैं. प्रदेश सरकार ने उनके लिए बजट में जो घोषनाएं की थी उनकी आज तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है. इसके कारण वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है.

rajeev saizal
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Published : Nov 26, 2020, 3:19 PM IST

सोलन: मंत्री जी! कोरोना काल में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर अब निराश हो चुकी हैं. प्रदेश सरकार ने उनके लिए बजट में जो घोषनाएं की थी उनकी आज तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है. इसके कारण वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है.

कोरोनावायरस के लिए प्रदेश में कोई भी अभियान चलाया जाता है, तो सबसे पहले आशा वर्कर्स को ही आगे किया जा रहा है, चाहे वह एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान की बात की जाए या फिर अब प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए हिम सुरक्षा अभियान की. आशा वर्कर इस समय कोरोना वॉरियर के रूप में काम कर रही है.

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आशा वर्कर काफी लंबे समय से मांग कर रही है कि उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए. वहीं, उन्हें मानदेय भी पूरा दिया जाए. वहीं, अब एक बार फिर आशा वर्कर्स ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर उन्हें अपनी मांग पत्र सौंपा है.

आशा वर्करों का कहना है कि वह काम करने के लिए मना नहीं कर रहे, लेकिन जो मानदेय उन्हें मिल रहा है, उसे देखकर लगता है कि सरकार उनका शोषण कर रही है. सरकार उनकी बात सुनने को तैयार तक नहीं है. वहीं, जब उनकी सुरक्षा की बात आती है, तो सरकार सिर्फ मास्क और ग्लब्स देकर अपना पल्ला झाड़ रही है जोकि उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ है.

मानदेय का झुनझुना नहीं,स्थाई नीति का इनाम चाहती है आशाएं

आशा वर्करों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में यह घोषणा की थी कि आशा कार्यकर्ता के मानदेय में 500 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि की जाएगी, लेकिन आज तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. उनका कहना है कि हमें मानदेय का झुनझुना नहीं बल्कि स्थाई नीति का इनाम चाहिए.

ये कहती है आशा कार्यकर्ता

आशा कार्यकर्ता अनिता और मंजू का कहना है कि कोरोनाकाल में आशा कार्यकर्ताओं ने फ्रंट लाइन पर रहते हुए अपनी सेवाओं का निर्वहन किया है. लोगों को क्वारंटाइन करना, कोरोना के टेस्ट करवाना, रिपोर्ट तैयार करना, लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी देना, आइसोलेट रोगी को दवाई उपलब्ध कराना, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करवाना यह सभी कार्य आशा कार्यकर्ताओं को ही करने पड़ रहे है.

राज्य कर्मचारी घोषित करें सरकार

आशा वर्कर को महज 1500 रुपए मान देय दिया जा रहा है, उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार आशा वर्कर को न्यूनतम 18000 रुपये वेतन प्रदान कर उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए, ताकि परिवार का जीवन यापन करने में सक्षम हो सकें.

जब खुद की सुरक्षा नहीं तो दूसरों की कैसे करें जनाब

आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लोग हिम सुरक्षा अभियान में भी अब हिस्सा लेने वाली है. घर-घर जाकर वे लोग कोरोनावायरस के बारे में और उससे संबंधित जानकारी में लोगों को जागरूक करेगी, लेकिन उनकी सुरक्षा का ध्यान बिल्कुल नहीं रखा गया है. उनके लिए जो किट दी गई है, उसमें सिर्फ मास्क, ग्लब्स और सेनिटाइजर दिया गया है, लेकिन इतने से उनकी सुरक्षा नहीं होने वाली है.

आशा वर्करों का कहना है कि हर घर में अब कोरोनावायरस के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में उनका बाहर बिना सुरक्षा के घूमना उनके परिवारजनों के लिए भी खतरनाक हो सकता है, उन्होंने कहा कि ना तो उन्हें कोई पीपीकिट दी गई है ना ही कोई अन्य सामान जिससे उनकी सुरक्षा हो सके.

स्वास्थ्य मंत्री ने कही ये बात

वहीं, मंत्री सैजल ने कहा कि कोरोना काल में आशा कार्यकर्ता फ्रंट वॉरियर के रूप में काम कर रही है. उनकी मांगों को सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा. सरकार की ओर से जो भी घोषणा की गई है, उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा.

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