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लैंटाना घास से उत्पाद तैयार कर रही महिलाएं, फर्नीचर से लेकर तैयार किए जा रहे हैं कीटनाशक - लेंटाना का इस्तेमाल

सरकार के आजीविका एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत भृंगी जन जागरण संगठन ने ग्राम पंचायत बजगा के गागल शिकोर में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है. जिसके तहत स्थानीय महिलाओं को लेंटाना के बारे में बेसिक जानकारी दी जा रही है.

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Published : Mar 24, 2021, 5:33 PM IST

राजगढ़:पच्छाद क्षेत्र की महिलाओं को इन दिनों केसू (लेंटाना) के भिन्न भिन्न प्रयोगों के बारे में जानकारी दी जा रही है. इसके लिए बजगा पंचायत में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके तहत स्थानीय महिलाओं को इसकी बेसिक जानकारी दी जा रही है.

30 महिलाएं हासिल कर रहीं प्रशिक्षण

सरकार के आजीविका एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत भृंगी जन जागरण संगठन ने ग्राम पंचायत बजगा के गागल शिकोर में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है. इस 15 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को लेंटाना कैमरा (केसू) झाड़ी से लेंटाना क्राफ्ट, बायो कम्पोस्ट, (खाद) बायो पेस्टीसाइड तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. शिविर में स्वयं सहायता समूहों की 30 महिलाएं प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं.

लेंटाना के बारे में जानकारी

लेंटाना कैमरा (केसू या फुलकड़ी) वो झाड़ी है, जिससे यहां किसानों की कृषि योग्य भूमि को बंजर और मवेशियों के चरागाहों को घास विहीन कर दिया है. यह झाड़ीनुमा पौधा है, जो अपने आप उगता है. इसमें कांटे होते हैं और यह बहुत तेजी से बढ़ता है. इसके आस पास कोई वनस्पति व घास आदि भी नहीं उगता यानि जहां यह पौधा उग गया उस जगह पर कुछ और पैदा नहीं हो सकता. इसके चलते घास की कमी के कारण लोग अपने मवेशियों को जंगल या सड़कों पर छोड़ देते हैं. इस समस्या को देखते हुए नाबार्ड से जुड़े समूहों ने अपने अपने क्षैत्र से लैंटाना को खत्म करने का बीड़ा उठाया है.

इन चीजों में होता है लेंटाना का इस्तेमाल
लैंटाना के तने से क्राफ्ट, फर्नीचर और पत्तियों से खाद और कीटनाशक दवाएं तैयार कर अपनी आय सृजन का जरिया चुना है. इससे लैंटाना भी खत्म होगा और महिलाओं की आय भी बढ़ेगी.

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