पांवटा साहिब: कुछ साल पहले तक जिला सिरमौर में सैकड़ों घराट नजर आते थे लेकिन आज के समय में लगभग इक्का-दुक्का घराट ही नजर आते हैं. पूरे प्रदेश में जहां कुछ साल पूर्व घराटों का प्रचलन था, वहीं आज के समय में नदियों और नाले में पानी का स्तर कम होने के कारण लोगों के पास समय के अनुभव के चलते इन घराटों का अस्तित्व नहीं के बराबर रह गया है.
जिला सिरमौर के ट्रांस नदी के साथ-साथ उत्तराखंड के ऊपरी क्षेत्र में करीब सैकड़ों घराट थे. पहले ग्रामीण इलाकों में बिजली चक्की ना होने कारण लोग गेहूं, मक्की पिसाने के लिए घराट पर आते थे. लेकिन समय के अभाव के कारण लोग चक्की में ही अनाज पिसा लेते हैं. ऐसे में घराट से आमदनी न होने के कारण संचालकों का जीवन गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है.