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कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए अपनाएं यह उपाय - रोग प्रतिरोधक क्षमता

वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. प्रमोद पारिक ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से काफी घातक साबित हो रही है. ऐसे में लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सामान्य आयुर्वेदिक उपाय अपना सकते हैं.

SIRMAUR
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Published : May 26, 2021, 11:31 AM IST

नाहन: सिरमौर जिला में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है. मई माह में ही अब तक 95 लोग संक्रमण से दम तोड़ चुके हैं. कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखना है. लिहाजा जिला आयुष विभाग के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. प्रमोद पारिक ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले सामान्य आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानकारी दी.

आयुर्वेद पद्धति से भी चल रहा संक्रमित मरीजों का उपचार

वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. प्रमोद पारिक ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से काफी घातक साबित हो रही है. ऐसे में लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सामान्य आयुर्वेदिक उपाय अपना सकते हैं. जिसके तहत प्रतिदिन पुदीना, अजवायन को गर्म पानी में डालकर भाप लें. प्रतिदिन सुबह 2.2 बूंद अणु तेल, तिल तेल, सरसों तेल, घी दोनों नासिका छिद्र में डालें. रोजाना 1-2 बार 1 चम्मच तिल और सरसों का तेल मुंह में डालकर 2 से 3 मिनट में घुमाएं, फिर थूक दें. बाद में गर्म पानी का कुल्ला करें.

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आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक ने दी जानकारी

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आगे अन्य उपायों की जानकारी देते हुए डॉ. प्रमोद पारिक ने कहा कि प्रातः खाली पेट 1 से 2 चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करें, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मधुमेह रोगी शूगर फ्री च्ववनप्राश का ही सेवन करें. इसके अलावा रोजाना हर्बल चाय, जिसमें 4 भाग तुलसी, 2 भाग दालचीनी, 2 भाग सोंठपूर्ण व 1 भाग काली मिर्च मिलाकर चूर्ण तैयार करके 1 से 3 ग्राम अथवा आवश्यकतानुसार 120 मिलीलीटर पानी या दूध में चाय की तरफ उबाकर, गुड़ मिलाकर सुबह-शाम पिएं

आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करें

डॉ. प्रमोद पारिक ने बताया कि प्रतिदिन 1 से 3 ग्राम हल्दी चूर्ण एक गिलास दूध में उबालकर सुबह-शाम पीएं. वहीं, दिन भर गुनगुना पानी घूंट-घूंट कर पीएं. यही नहीं प्रातः कम से कम 30 मिनट योगासन, सूर्य नमस्कार, प्राणायाम अवश्य करें. भोजन में गरम मसाले, हल्दी, जीरा, लहसून का प्रयोग करें. 6 से 8 घंटे की नींद पूरी लें. अंतिम उपाय के बारे में डॉ. प्रमोद पारिक ने बताया कि आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करते हुए सुबह ब्रह्मुहूर्त (सूर्योदय से पहले 48 मिनट पहले तक) में उठे और रात को जल्दी सोएं.

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