राजगढ़ः पच्छाद उपमंडल के सराहां आईटीआई भवन के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट में ग्राम टिक्कर वासियों ने आईटीआई भवन को टिक्कर से काहन में शिफ्ट करने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसी दौरान भाजपा सरकार ने आईटीआई भवन का काहन में दोबारा से शिलान्यास कर भवन का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया था. हालांकि इन दिनों काहन गांव में आईटीआई भवन का निर्माण कार्य चल रहा है.
बता दें कि इसी तरह कॉलेज भवन के लिए पहले काहन में करीब 32 बीघा जमीन ग्रामीणों ने सरकार के नाम करवाई थी, लेकिन 2012 में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस ने कॉलेज भवन को टिक्कर गांव शिफ्ट कर भवन निर्माण शुरू करवाया था.
प्रदेश सरकार को 1 माह में सुप्रीम कोर्ट को लिखित में देना होगा जवाब
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता रूपेंद्र पुंडीर ने बताया कि सराहां आईटीआई भवन के निर्माण को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कार्य रोकने और यथास्थिति को बनाए रखने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही वहां पर पेड़ों की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देंश भी दिए है. वहीं, प्रदेश सरकार को 1 माह के अंदर लिखित जवाब भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करना होगा.
ग्रामीणों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ये कहा
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में टिक्कर के ग्रामीणों ने बताया था कि काहन में जहां पर आईटीआई भवन बन रहा है, वहां पर वन विभाग की चीड़ के पेड़ों की प्लांटेशन की गई थी, जिसे सरकार ने कुछ पेड़ों को काट दिया है और आईटीआई निर्माण के लिए जो भूमि की कम से कम 5 बीघा की शर्त थी, उसे भी पूरा नहीं किया गया है.
विदित रहे कि कांग्रेस सरकार में टिक्कर गांव में बन रहे मॉडल डिग्री कॉलेज के समीप ही आईटीआई भवन को 5 बीघा जमीन ग्रामीणों ने दान दी थी, जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा करवाया था.
आईटीआई पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक लगाया स्टे
इसके बाद जब हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार आई, तो भाजपा सरकार में पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के विधायक और वर्तमान में सांसद सुरेश कश्यप ने काहन गांव में आईटीआई का दोबारा से शिलान्यास किया और अब वहां पर आईटीआई का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक स्टे लगा दिया है.
बता दें कि पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के सराहां डिग्री कॉलेज को लेकर भी कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने कई बार अधिसूचना रद्द की थी. अब यही स्थिति आईटीआई भवन को लेकर भी बनी हुई है.
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