नाहनः हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में जिला सिरमौर के नतीजों ने भाजपा को झटका दिया है. जिला सिरमौर के 17 जिला परिषद वार्डों में सत्ताधारी दल को बहुमत न मिलने से सियासी समिकरण बिगड़ गये हैं. सिरमौर में भाजपा का प्रर्दशन ज्यादा बेहतर नहीं रहा है.
निर्दलीय के हाथ चाबी
17 सीटों वाली सिरमौर जिला परिषद में कांग्रेस और भाजपा के पाले में 8-8 सीटें आई हैं. अब जिला परिषद अध्यक्ष की चाबी बाग पशोग वार्ड से चुनाव जीती नीलम शर्मा के हाथ में आ गई है. जिला परिषद की कुर्सी इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. इसलिये ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाली नीलम शर्मा के हाथ मानो बटेर लग गया है.
बीजेपी ने तीन ओबीसी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन दो उम्मीदवार चुनाव हार गए. सिर्फ संगड़ाह वार्ड से सीमा कन्याल ने जीत दर्ज की, लेकिन आखिरी नतीजों में जब कांग्रेस और बीजेपी के बीच 8-8 सीटों के साथ मैच ड्रॉ हुआ तो जीत की चाबी निर्दलीय नीलम शर्मा के हाथ आना लाजमी लगता है.
कौन है नीलम शर्मा ?
पच्छाद की बागपशोग सीट पर निजी स्कूल संचालक नीलम शर्मा ने कांग्रेस व भाजपा को हराकर जिला परिषद की सीट में 72 मतों के अंतर से सफलता पाई है. 35 साल की नीलम शर्मा के लिए ये सियासी सफर की शुरूआत है. मूल रूप से काहन क्याना की रहने वाली नीलम शर्मा ने राजनीतिक विज्ञान व समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ-साथ बीएड की शिक्षा हासिल की है. वोटरों के बीच उनकी उच्च शिक्षा भी जीत का एक अहम फेक्टर मानी जा रही है.
जिला परिषद सदस्य,नीलम शर्मा बागपशोग सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय रहा. कांटे की टक्कर में निर्दलीय नीलम शर्मा ने कांग्रेस की निकटतम प्रत्याशी पूनम ठाकुर को 72 मतों से हराया. नीलम को 6058 मत प्राप्त हुए, जबकि निकटतम प्रत्याशी पूनम ठाकुर को 5986 मत मिले. वहीं, भाजपा की ललिता शर्मा को 4991 मतों पर संतोष करना पड़ा.
कांग्रेस के 'हाथ' खाली
उधर कांग्रेसी खेमे में कोई भी ओबीसी महिला उम्मीदवार नहीं है. यही कारण है कि कांग्रेस अपने आठों समर्थित उम्मीदवारों का 'हाथ' नीलम शर्मा के साथ देकर कुर्सी की दौड़ में नैतिक जीत पाने का जुगाड़ बिठा रही है. कांग्रेस अगर ये करने में कामयाब होती है तो ये सिरमौर के सियासी मैदान में बीजेपी को पटखनी देने जैसा होगा, क्योंकि इस जिले से हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष सुरेश कश्यप और एक कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी भी ताल्लुक रखते हैं.
देर रात तक कन्फ्यूज़न के बाद निकला सॉल्यूशन
शनिवार को सिरमौर में जिला परिषद की मतगणना शुरू हुई तो ये दौर देर रात तक चला. 11 वार्ड के नतीजे तो शुक्रवार देर रात आ गए थे लेकिन बाकी 6 वार्डों पर गिनती शनिवार रात 11:30 बजे के बाद शुरू हुई. रविवार सुबह 11:00 बजे के आसपास तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई. कांग्रेस ने भगाणी, माजरा व रामपुर भारापुर की सीटों को जीत लिया, जबकि भाजपा ने शिल्ला, कमरऊ व बद्रीपुर सीट पर जीत दर्ज की.
बता दें कि माजरा वार्ड का 50 फ़ीसदी हिस्सा नाहन निर्वाचन क्षेत्र में आता है, जबकि बाकी इलाका पांवटा साहिब विधानसभा का है. हालांकि नाहन हल्के में भाजपा पहले ही दो जिला परिषद की सीटों को जीत चुकी है, लेकिन नजरें माजरा व रामपुर भारापुर सीट पर भी टिकी हुई थी. लेकिन रामपुर भारापुर का नतीजा जारी होने के बाद पूरी तस्वीर साफ हो गयी.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की करीबी को मिली हार
बागपशोग वार्ड को हॉट सीट माना जा रहा था और नतीजों के बाद इसी सीट के नतीजे ने सबसे ज्यादा सुर्खियां भी बटोरीं. दरअसल इस ओबीसी आरक्षित सीट से बीजेपी समर्थित उम्मीदवार ललिता शर्मा चुनाव मैदान में थी. माना जा रहा था कि जीत के बाद ललिता शर्मा ही जिला परिषद चेयरमैन की कुर्सी पर बैठेगी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की करीबी होने का फायदा भी उन्हें दिया जा रहा था.
लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. नतीजों के बाद ललिता शर्मा तीसरे स्थान पर रही जबकि रेस में कहीं जगह ना पाने वाली नीलम शर्मा ने इस वार्ड से जीत का परचम लहराकर सिरमौर की सियासत का खेल अपने पाले में कर दिया. क्योंकि सभी नतीजे आने के बाद 17 वार्ड में कांग्रेस और बीजेपी को 8-8 वार्डों पर जीत नसीब हुई और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नीलम शर्मा इकलौती उम्मीदवार हैं जो इस बार जिला परिषद चेयरमैन की कुर्सी की हर योग्यता को पूरा करती हैं.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप यहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की करीबी ललिता शर्मा पहले से सक्रिय राजनीती का हिस्सा भी रहीं हैं. लेकिन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के घर में भाजपा की करारी शिकस्त देखने को मिली. भाजपा प्रत्याशी यहां तीसरे नंबर पर रहीं. जबकी दूसरे स्थान पर रहीं कांग्रेस समर्थित पूनम ठाकुर नें यहां कांटे की टक्कर दी.
मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष की भी वही कहानी
उधर ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल की संयुक्त उम्मीदवार पुष्पा चौधरी चुनाव हार गई . पूर्व बीडीसी चेयरपर्सन पुष्पा चौधरी को इस बार भाजपा ने अपने जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में प्रोजेक्ट तो किया लेकिन उनका गणित यहां फेल होता दिखा.
ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी बता दें कि चुनाव हारने वाली पुष्पा चौधरी को ऊर्जा मंत्री का करीबी रिश्तेदार भी बताया जा रहा है. माजरा सीट पर कांग्रेस की अमृत कौर ने 2466 मतों से जीत हासिल की है. हालांकि माजरा वार्ड महिला के लिए आरक्षित था, लेकिन हॉट-सीट का आरक्षण देखते हुए भाजपा के दिग्गज नेताओं ने ओबीसी से ताल्लुक रखने वाली पुष्पा चौधरी को ही चुनाव लड़ाने का फैसला किया था.
भाजपा नेताओं का गणित फेल
साफ है कि पार्टी के बड़े नेताओं का साथ भी इन उम्मीदवारों को जीत नहीं दिला पाया. चुनाव भले सिंबल पर ना हुए हों लेकिन चेहरों का साथ उम्मीदवारों को प्रचार के दौरान ताकत जरूर देता है. अगर साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री या पूर्व अध्यक्ष का मिले तो जीत की गारंटी मान ली जाती है. लेकिन सिरमौर की जनता ने एक बार फिर सियासतदानों को बता दिया कि जनतंत्र में जनता ही सबकुछ है.
रामपुर भारापुर में तो दो बार मतगणना करनी पड़ी. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल की साख दांव पर थी. ये वही वार्ड है जहां चुनाव प्रचार के दौरान राजीव बिंदल को लोगों की नारेबाजी का सामना करना पड़ा था.
मतगणना केंद्र में हुआ बवाल
शनिवार रात ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी भी पावंटा साहिब में मतगणना केंद्र में पहुंच गए थे. इसके बाद खासा बवाल मचा था. दरअसल पंचायत स्तर के चुनाव को मंत्रियों और बड़े सियासी चेहरों की एंट्री ने दिलचस्प बना दिया था. जहां ऊर्जा मंत्री व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने एक बुजुर्ग महिला को कैंडिडेट बनाया, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी ओपन महिला सीट से ओबीसी महिला को उतारा था. बीजेपी के बड़े चेहरों की एंट्री से ये सीटें हॉट बन गई लेकिन नतीजे इतने हॉट रहे कि इन बड़े चेहरों के हाथ जल गए. दोनों वार्डों से बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों को हार मिली.
ये हैं मौजूदा समीकरण
अब भाजपा और कांग्रेस के खाते में 8-8 सीटें हैं. एसे में नीलम शर्मा को दोनो पार्टियों की तरफ से चेयरपर्सन का ऑफर दिया जा सकता है. लेकिन यहां ये भी देखना होगा की भाजपा के पास पहले से एक विजयी ओबीसी महिला प्रत्याशी सीमा कन्याल हैं लेकिन कुर्सी तक पहुंचने के लिए जरूरी 9 नंबर नहीं है. वो तभी पूरे होंगे जब नीलम शर्मा को बीजेपी साध सके और नीलम शर्मा कुर्सी से कम में मानेंगी ये लगता नहीं. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस का हाथ थामना उनके लिए मुफीद होगा. दरअसल कांग्रेस के हाथ भी 8 सीटे हैं लेकिन ओबीसी उम्मीदवार के मामले में 'हाथ' खाली है इसलिए कांग्रेस नीलम शर्मा का हाथ थामकर जिला परिषद में अपनी जीत का परचम लहराना चाहेगी.
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