सिरमौर:देवभूमि हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली की धूम शुरू हो चुकी है. महिलाएं बूढ़ी दिवाली में इस्तेमाल होने वाले पहाड़ी पारंपरिक पौष्टिक आहार को बनाने में जुट चुकी हैं.
इन दिनों जिला सिरमौर के पहाड़ी क्षेत्र की महिलाएं मूड़ा शाकुली, बिडोली चिवलो आदि बूढ़ी दिवाली में सबसे ज्यादा बनाए जाते हैं. बूढ़ी दिवाली में मूड़ा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. बता दें इसे बनाने के लिए महिलाओं को महीना लग जाता है.
शिलाई क्षेत्र की बात की जाए तो हर गांव में मूड़े का स्वाद अलग अलग मिलेगा. महिलाएं कड़ी मशक्कत के बाद मूड़ा को बनाती हैं, ताकि खाने वालों को भी स्वाद आ सके. हर गांव में अपने अपने रीति-रिवाजों के साथ बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है.
बता दें कि पहाड़ी क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. शहरों में जहां दिवाली के शुभ अवसर पर एक दूसरे को मिठाइयां बांटी जाती हैं पटाखे फोड़े जाते हैं. वहीं, पहाड़ों में मशाल निकालकर पहाड़ी स्वादिष्ट व्यंजनों को एक दूसरे को खिलाकर बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है.