पावंटा साहिब: जिला सिरमौर के पांवटा साहिब हर साल जर्जर मकानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जर्जर हो चुके इन सरकारी और गैर सरकारी भवनों को प्रशासन की ओर से नोटिस तो जारी कर दिया जाता है, लेकिन उसके बाद ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
हैरानी की बात तो यह है कि इन जर्जर इमारतों में लोग भी रह रहे हैं और कइ जगहों पर सरकारी दफ्तर भी चल रहे हैं. समय पर इन इमारतों को ना गिराने पर हादसे के दौरान आस पास के मकानों को अपनी जद में ले सकती हैं.
पावंटा साहिब के शिलाई क्षेत्र की हि बात की जाए तो मौजूदा समय में 35 मकान हादसे को न्यौता दे रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से इनमें से कुछ मकान मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए हैं. जब लोगों से इस बारे में बात की गई तो, उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उनके आस पास की इमारतों को अनसेफ घोषित कर दिया है. पिछले 2 सालों से इमारतों की हालत जस की तस बनी हुई है. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
प्रशासन की मानें तो एक मकान की बुनियाद 10 साल तक सही तरीके से रहती है. उसके बाद बिल्डिंग के लिए रिपेयरिंग कॉल दी जाती है, लेकिन पांवटा साहिब में ऐसे कई इमारतें हैं, जिनकी कभी मरम्मत नहीं की गई.
वहीं, नगर परिषद पावंटा से पता चला कि उनके पास कागजों में जर्जर इमारतों का कोई भी लेखा-जोखा ही नहीं है. पावंटा शहर में जर्जर मकानों के सर्वे करवाने की आज तक जरूरत ही नहीं समझी गई.
एसडीएम गौरव धीमान
पावंटा क्षेत्र में जर्जर इमारतों को लेकर एसडीएम गौरव धीमान ने बताया कि उनके यहां पर चार विधानसभाओं की पंचायतें आती हैं. पावंटा, नाहान, रेणुका और शिलाई पंचायती क्षेत्र में कई ऐसे मकान हैं, जो जर्जर हालत में हैं. जिन पंचायतों में जर्जर हालत में मकान होते हैं, यदि मकान मालिक बीपीएल श्रेणी में आता है, तो उन्हें मकान बनाने के लिए सरकारी सहायता की जाती है.