हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

By

Published : Dec 3, 2019, 2:53 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 3:11 PM IST

ETV Bharat / state

SPECIAL: यहां के किसानों के लिए वरदान बनी प्राकृतिक खेती, देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

प्राकृतिक खेती और किसानों के लिए वरदान बनती जा रही है. महीपुर जैसे छोटे से क्षेत्र में इसके प्रयोग से अच्छी खेती हो रही और किसानों की आर्थिकी भी मजबूत हुई है. यहां खेतों में केवल प्राकृतिक खाद आदि का ही प्रयोग हो रहा है जोकि अन्य के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो रहा है.

Natural farming in nahan,  नाहन में प्राकृतिक खेती
रेणुका के महीपुर में किसानों के लिए वरदान बनी प्राकृतिक खेती

नाहन:प्राकृतिक खेती से अब किसान जुड़ने लगे हैं और अपने खेतों में रसायनिक खादों, उर्वरकों के स्थान पर अब अपने पशुओं के गोबर की खाद का प्रयोग करने लगे हैं. यही वजह है कि इसके अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं. जहां खेतों में उपज बढ़ी है, वहीं फसलों के दाम भी बेहतर मिलने लगे हैं.

सिरमौर जिला के श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र की महीपुर पंचायत में किसान अपने खेतों में कोई रसायनिक खादों का प्रयोग नहीं करते, अपितु गाय व बकरी आदि की खाद अपने खेतों में डाल रहे हैं. क्षेत्र में सभी किसान अदरक, लहसुन व गेहूं की खेती करने में जुटे हुए हैं और खेतों की उत्पादकता बढ़ने से अच्छी फसल हो रही है. बाजार में अच्छे दाम मिलने से किसान खुश हैं.

महीपुर में इन दिनों लहसुन लगाने का कार्य जोरों पर है और उसकी गुड़ाई के साथ-साथ इसमें खाद भी डाली जा रही है. किसान सिरमौर सिंह ने बताया कि वह लोग अपने खेतों में पशु खाद का ही प्रयोग करते हैं और किसी भी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. प्राकृतिक खेती से उनकी उपज बढ़ी है और बाजारों में दाम अच्छे मिलते हैं.

वीडियो.

वहीं, महिला किसान वीना ठाकुर ने बताया कि जब से वह लोग प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं, उनकी उपज बढ़ी है. उन्होंने बताया कि अब कोई भी रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं करता है. साथ ही अच्छी आमदनी भी हो रही है. वहीं, एक अन्य किसान विकी ठाकुर ने बताया कि वह लोग अपने खेतों में केवल प्राकृतिक खाद ही प्रयोग करते हैं. कोई भी रसायनिक खाद व दवा नहीं डाली जाती, जिससे जमीन भी ठीक रहती है और और उन्हें फसलों के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक खेती और किसानों के लिए वरदान बनती जा रही है. महीपुर जैसे छोटे से क्षेत्र में इसके प्रयोग से अच्छी खेती हो रही और किसानों की आर्थिकी भी मजबूत हुई है. यहां खेतों में केवल प्राकृतिक खाद आदि का ही प्रयोग हो रहा है जोकि अन्य के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो रहा है.

ये भी पढ़ें- नाभा प्राथमिक पाठशाला को नहीं मिला भवन, 1974 से चल रहा है ये स्कूल

Last Updated : Dec 3, 2019, 3:11 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details