नाहन: दीपों का त्योहार दीपावली इस बार देवभूमि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में गोमयी ज्योति के नाम से सिरमौर प्रशासन द्वारा उतारे गए खास दिनों से रोशन होगा. जिला प्रशासन का प्रयास है कि गोबर से तैयार किए गए इन विशेष दीयों के जरिए इस बार जिला के दीपावली को पर्यावरण हितैषी बनाया जाए. साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया गया है.
नाहन के समीप माता बालासुंदरी गौसदन में इन दिनों गोबर से तैयार इन विशेष दीयों की पैकिंग का कार्य किया जा रहा है. प्रशासन ने दीपावली के लिए 20 हजार दीये बनाने का टारगेट रखा है, जिसमें से 14 हजार के करीब दीये तैयार किए जा चुके हैं.
विभिन्न महिला समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को इसके लिए बकायदा प्रशासन ने पशुपालन विभाग के साथ मिलकर प्रशिक्षण दिया. तत्पश्चात तैयार किए गए इन दीयों को महिलाओं द्वारा गौसदन परिसर में ही आकर्षक पैकिंग के साथ पैक किया जा रहा है.
दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भरता व लोकल से वोकल का संदेश दिया था, ताकि सभी वर्गों को स्वरोजगार मिलने के साथ-साथ विकास हो सके. प्रधानमंत्री के इसी मंत्र को डीसी सिरमौर ने जिला में बखूबी लागू करने का प्रयास किया. मेड इन सिरमौर के तहत विभिन्न उत्पादों को तैयार किया जा रहा है और इसी मुहिम के तहत जिला में गोबर के दीयों का बनाने की पहल की गई.
तीन उद्देश्यों की पूर्ति के साथ किया प्रयास : डीसी सिरमौर
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीसी सिरमौर आरके परूथी ने बताया कि दीपावली को पर्यावरण हितैषी बनाने, गांव की महिलाओं को घर द्वार पर रोजगार उपलब्ध करवाने व सड़कों पर निराश्रित पशुओं की समस्या से निजात पाने के इन 3 उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने गाय के गोबर से अनेक उत्पाद बनाए हैं.
दीपावली के लिए इसमें गोमयी ज्योति के नाम से तैयार उत्पाद है, जिसमें गोबर से दीये बनाए गए हैं. इन दीयों में गोबर के साथ थोड़ी मिट्टी का प्रयोग किया गया है. नाबार्ड के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया.
डीसी ने बताया कि प्रथम चरण में हाथों से तैयार दीये बनाए गए हैं. अब मशीन की सुविधा भी मुहैया करवाई जा रही है, ताकि दीयों की संख्या को बढ़ाया जा सके. उन्होंने बताया कि ये दीये पर्यावरण हितेषी है. जलाने के पश्चात इसके गुणों में वृद्धि हुई है. बकायदा इसकी जांच भी करवाई गई है.
विशेष बात यह भी है कि इन दीयों को कंपोस्ट के तौर पर भी दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है. डीसी ने सभी जिला वासियों से आग्रह करते हुए कहा कि इस बार दीपावली पर्यावरण हितैषी हो, उसके लिए गाय के गोबर से तैयार इन दीयों का इस्तेमाल करें. साथ ही महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ-साथ वह आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ेगी.
जिला में यहां बिक्री हेतु उपलब्ध करवाए जा रहे हैं यह दीये