नाहन: प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में यह गौरव दिलाने वाली यह डॉक्यूमेंट्री सिरमौर जिला के गिरीपार क्षेत्रों में प्राचीन काल से मनाए जाने वाले बूढ़ी दिवाली त्यौहार पर तैयार की गई है. इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म का चयन जब इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव के लिए हुआ था, तब से हिमाचल के संस्कृति प्रेमियों की निगाहें इस फिल्म के प्रदर्शन पर लगी थी. इस डॉक्यूमेंट्री ने वास्तव में अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में हिमाचल की संस्कृति से सभी को सराबोर कर दिया.
डॉक्यूमेंट्री फिल्म बूढ़ी दिवाली के निर्देशक को मिला स्पेशल जूरी अवॉर्ड. हाल ही में मुंबई में संपन्न हुए इस फिल्मोत्सव के अवॉर्ड फक्शन में इस डॉक्यूमेंट्री को स्पेशल जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ. हिमाचल सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में बतौर उप निदेशक सेवानिवृत मेला राम शर्मा ने हिमाचल के कला जगत को समृद्ध करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान तो दिया ही है. साथ ही यहां की गौरवपूर्ण सांस्कृतिक थाती को विश्व के सामने प्रदर्शित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
अक्तूबर 2018 में हिमालयन वेलासीटी द्वारा शिमला में आयोजित चौथे अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव में भी उनकी फिल्म इन द टवीलाईट जोन ने हिमाचल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार हासिल किया था, जिससे उनका हौसला बढ़ा और इनकी दूसरी फिल्म बूढ़ी दिवाली फिल्म का चयन अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव के लिए होना उनके सपनों में नए रंग भर गया.
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले मेलाराम शर्मा ने इस जिले की प्राचीन संस्कृति को अपनी डॉक्यूमेंट्री में उतारा है. मात्र 21 मिनट की अवधि की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बूढ़ी दीवाली के दौरान अर्धरात्रि के समय निकाले जाने वाले मशाल जुलूस से लेकर दिन के समय नाचे जाने वाले रासा व चोलटू नृत्य की समृद्ध परंपराओं को दर्शाया गया है.
इसके अलावा इस फिल्म में बूढ़ी दिवाली के दौरान मेहमान नवाजी के लिए तैयार किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के लोक व्यंजनों और रीति-रिवाजों को भी फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है. मेला राम शर्मा ने बताया कि उन्हें मात्र इस बात पर बहुत प्रसन्नता थी कि उनके द्वारा तैयार की गई इस बूढ़ी दिवाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म का चयन मुंबई में आयोजित होने वाले अंतरर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में दिखाए जाने के लिए हुआ है, लेकिन उन्हें इस पुरस्कार की कतई उम्मीद नहीं थी.