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श्रद्धालुओं के लिए चूड़धार मंदिर के कपाट बंद, प्रशासन ने यात्रा पर लगाया प्रतिबंध

सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी और सप्तम कैलाश के नाम से विख्यात चूड़धार यात्रा पर अब प्रशासन ने रोक लगा दी है. श्रावण मास की संक्रांति पर श्रद्धालु भारी संख्या में आराध्य देव के दर्शन करने चूड़धार पहुंचे थे, जिसके बाद प्रशासन द्वारा इस तीर्थ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.

churdhar temple
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Published : Jul 18, 2020, 6:51 PM IST

शिलाई/सिरमौर: जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी और सप्तम कैलाश के नाम से विख्यात चूड़धार यात्रा पर अब प्रशासन ने रोक लगा दी है. श्रावण मास की संक्रांति पर श्रद्धालु भारी संख्या में आराध्य देव के दर्शन करने चूड़धार पहुंचे थे, जिसके बाद प्रशासन द्वारा इस तीर्थ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.

देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आराध्य देव शिरगुल महाराज के दर्शन करने चूड़धार आते हैं, लेकिन फिलहाल कोरोना महामारी ने सभी श्रद्धालुओं को इस पावन यात्रा पर न जाने के लिए विवश कर दिया है.

वैश्विक कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रशासन द्वारा चूड़धार यात्रा पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया. है. बावजूद इसके कई लोग चोरी-छिपे चूड़धार पहुंच रहे हैं, मगर वहां पहुंचने पर भी श्रद्धालुओं को शिरगुल महाराज के दर्शन किए बगैर ही वापस लौटना पड़ रहा है क्योंकि मंदिर के कपाट को प्रशासन द्वारा बंद करवाया गया है.

वर्तमान में चूड़धार मंदिर में श्रद्धालुओं के खाने पीने व रात्रि विश्राम की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. प्रशासन द्वारा पहले नवंबर 2019 से 15 अप्रैल 2020 तक चूड़धार मंदिर के कपाट भारी बर्फबारी के चलते बंद किए गए थे, मगर अब कोरोना महामारी के कारण प्रशासन द्वारा मंदिर के कपाट आगामी आदेशों तक फिर से बंद कर दिए गए हैं.

बता दें कि विश्व विख्यात धर्मिक यात्राओं में शुमार पवित्र तीर्थ स्थल चूड़धार मंदिर समुद्र तल से 11,965 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. चूड़धार मंदिर पहुंचने के लिए सिरमौर जिला के नोहराधार व शिमला जिला के सराहां (चौपाल) से कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है.

नोहराधार (सिरमौर) से चूड़धार पहुंचने के लिए करीब 25 किलोमीटर की पगडंडी पर पैदल चलना पड़ता है, जबकि सराहां (शिमला) से करीब सात किलोमीटर का पैदल सफर तय करके चूड़धार मंदिर पहुंचा जा सकता है.

क्षेत्र के बुद्धिजीविओं के अनुसार आज तक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब नवंबर 2019 से लेकर जुलाई 2020 तक करीब 8 महीनों से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी लोग अपने आराध्य देव शिरगुल महादेव के दर्शन करने नहीं जा पा रहे हैं.

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