नाहन:भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना 'आत्मनिर्भर भारत' और 'लोकल फॉर वोकल' का सपना साकार होता नजर आ रहा है. देश के साथ हिमाचल प्रदेश के युवा और महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिससे वे परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. जिला सिरमौर की बात की जाए तो यहां पर धारटीधार क्षेत्र के कसोगा गांव की महिलाएं दोना-पत्तल बनाकर अपनी जिंदगी संवार रही हैं. इन महिलाओं द्वारा तैयार किए गए दोना-पत्तल की शादी सहित अन्य सरकारी व गैर सरकारी कार्यक्रमों में काफी डिमांड है. इस कारण ग्रामीण महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो रही है.
साथ ही वह घरद्वार के समीप स्वावलंबी बनकर प्रत्येक महीने हजारों रुपये की कमाई कर अन्यों के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही हैं. दरअसल कसोगा गांव की ला शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़ी करीब 15 महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत दोना-पत्तल बनाने की मशीन जिला प्रशासन की ओर से प्रदान की गई थी. इसको लेकर महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया गया. हालांकि कोरोना काल में महिलाओं के कारोबार पर काफी असर पड़ा, लेकिन अब एक बार फिर इनके कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है. प्रतिदिन महिलाएं काफी संख्या में दोना-पत्तल तैयार कर रही हैं. जिले के कई समारोह से इन महिलाओं को आर्डर मिल रहे हैं.
पहले करती हैं जंगल से मालझन के पत्ते एकत्रित- दोना-पत्तल में इस्तेमाल होने वाले हरे पत्ते मालझन नामक पेड़ के होते हैं. जंगल से महिलाएं इन पत्तों को एकत्रित करती हैं और फिर इन्हीं पत्तों से मशीन के माध्यम से दोना-पत्तल बनाती है. यही नहीं अब महिलाओं ने अपने घरों के समीप भी मालझन को उगाना शुरू कर दिया है, ताकि घर के समीप ही उन्हें यह पत्ते आसानी से मिल सके. सभी महिलाएं एकत्रित होकर यह कार्य करती हैं. पिछले करीब 5 वर्षों से महिलाएं यह कार्य कर रही हैं, जिससे वह आत्मनिर्भरता की तरफ अग्रसर है.